31 जुलाई 1880 को काशी में जन्मे प्रेमचंद को हिन्दी का सबसे बड़ा कथाकार माना जाता है। गोदान, गबन, प्रेमसदन और निर्मला उनके प्रमुख उपन्यास हैं। प्रेमचंद ने करीब 300 कहानियाँ लिखीं जिनमें से दर्जनों कहानियाँ विश्व कथा साहित्य की श्रेष्ठ रचनाओं में शुमार की जाती हैं। प्रेमचंद का आठ अक्टूबर 1936 को निधन हो गया। Read More
जानकार बताते हैं कि 1908 में ‘सोजे वतन’ के प्रकाशित होते ही गोरी सरकार हिल उठी थी और उसका डर इस सीमा तक बढ़ गया था कि उसकी सारी की सारी प्रतियां जलवा देने पर भी नहीं घटा था. ...
उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय समाज, संस्कृति और जीवन को इतने सजीव और गहरे रूप में प्रस्तुत किया है कि उनके साहित्य को पढ़ते समय पाठक भारत को महसूस कर सकते हैं। प्रेमचंद की रचनाओं में उनके गढ़े गए किरदारों के जरिये हम अपने आसपास होती हलचल को ...
दिल्ली की जामिया पहुंचने से पहले मुंशी प्रेमचंद सेवासदन’ (1918), ‘रंगभूमि’ (1925), ‘कायाकल्प,’ (1926), ‘निर्मला’ (1927), ‘गबन’ (1931), ‘कर्मभूमि’ (1932) और अनेक कहानियां और उपन्यास लिख चुके थे। ...
साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखने वाले प्रेमचंद का लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है, जो हिन्दी के विकास की यात्रा को संपूर्णता प्रदान करती है। ...
आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाली कई महिलाओं का जिक्र इतिहास के पन्नों में नहीं है। ऐसा ही एक नाम शिवरानी देवी है। प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी 2 महीने जेल में भी रही। ...
कोरोना काल में केंद्र सरकार ने गरीबों को मुफ्त अनाज देने की शुरुआत की। एक बड़ी शहरी आबादी इस योजना का उपहास की दृष्टि से देखती है। इस विषय पर पढ़ें रंगनाथ सिंह का ब्लॉग। ...
प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गाँव में हुआ था। एक दर्जन से ज्यादा उपन्यास और तीन सौ से ज्यादा कहानियाँ लिखने वाले प्रेमचंद को कथा सम्राट माना जाता है। प्रेमचंद का निधन अक्टूबर 1936 में हुआ। आज प्रेमचंद जयंती पर रंगनाथ सिंह बता रहे ...