हिन्दी फिल्म अभिनेत्री नरगिस दत्त को बॉलीवुड की ऑल टाइम श्रेष्ठ अभिनेत्रियों में शुमार किया जाता है। नरगिस के बचपन का नाम फातिमा रशीद था। उनका जन्म कलकत्ता (अब कोलकाता) में एक जून 1929 को हुआ था। उनके पिता अब्दुल रशीद मूलतः पंजाबी हिन्दू थे। उन्होंने जद्दन बाई से शादी करने के लिए इस्लाम अपना लिया था। जद्दन बाई अपने समय की ख्यातिलब्ध गायिका थीं। जद्दन बाई ने हिन्दी फिल्मों में भी अपनी आवाज दी थी। जद्दन बाई ने ही अपनी बेटी नरगिस को फिल्मी करियर के लिए प्रेरित किया। नरगिस ने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर 1935 में "तलाश-ए-हक़" फिल्म से अभिनय करियर शुरू किया। ननरिगस को करियर की शुरुआत में ही मोतीलाल और महबूब खान जैसे नामी हीरो और डायरेक्टरों के साथ काम करने का मौका मिला लेकिन उनकी अलग पहचान राज कपूर की फिल्मों से बनी। 1948 में आई राज कपूर और नरगिस की फिल्म आग ने हिन्दी सिनेमा को एक अमर जोड़ी दे दी। उसके बाद राज और नरगिस की जोड़ी ने बरसात (1949), अंदाज (1949), आवारा (1951), श्री 420 (1955) और चोरी चोरी (1956) जैसी कल्ट फिल्में दीं। रुपहले पर्दे के साथ ही राज कपूर से नरगिस के प्यार के क़िस्से भी काफी मशहूर हुए। राज कपूर पहले से शादीशुदा थे इसलिए उन्होंने नगरिस से शादी नहीं की। एक वक़्त ऐसा आया कि नरगिस ने राज कपूर के साथ फिल्में करना बंद कर दिया और दोनों का प्यार भी टूट गया। राज कपूर के साथ नरगिस की जोड़ी एक रोमांटिक और चुलबुली हिरोइन की थी। उन्हें लीविंग लीजेंड का दर्जा महबूब खान की हिन्दी क्लासिक मदर इंडिया (1957) से मिली। फिल्म में उनके साथ राज कुमार, सुनील दत्त और राजेंद्र कुमार मुख्य भूमिका में थे। फिल्म के दौरान ही नगरिस सुनील दत्त के करीब आईं। 1958 में दोनों ने शादी कर ली। नरगिस और सुनील दत्त की दो संतानें संजय दत्त और प्रिया दत्त हैं। संजय दत्त फिल्म अभिनेता हैं और प्रिया दत्त सांसद और कांग्रेस नेता हैं। तीन मई 1951 को नरगिस का महज 51 साल की उम्र में निधन हो गया।