भारतीय संविधान में भीड़ के द्वारा की गई हिंसा के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया था। इसका फायदा उठाकर भारत में कई वारदातों को भीड़ ने अंजाम दिया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी मॉब लिंचिंग साल 1984 में हुई थी। जबकि कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों के मुताबिक नरेंद्र मोदी सरकार में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ गई हैं। हालांकि मॉब लिंचिंग का इंतिहास पुराना है। साल 1947 में जब हिन्दुस्तान को आजादी मिली और देश के दो टुकड़े हुए, भारत और पाकिस्तान, तब भी भीड़ ने कइयों को मौत के घाट उतार दिया था। तब उसे दंगे का नाम दिया गया था। लेकिन कई जगहों पर भारी मॉब लिंचिंग हुई थी। Read More
पिछले साल 17 जुलाई को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि “भीड़तंत्र के भयानक कृत्यों” को कानून को अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती और लिंचिंग एवं गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों से निपटने के लिए दिशा ...
यदि कोई शख्स अकेला गोरक्षा के नाम पर हिंसा करेगा तो उसे छह महीने से लेकर तीन साल की सजा और 25,000 रूपये से 50,000 रूपये तक का जुर्माना देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वहीं, गाय के नाम पर भीड़ द्वारा हिंसा या हत्या की जाती है, तो उनकी सजा को बढ़ाकर न्यून ...
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कहा, ''वर्तमान कानून के प्रभावी इस्तेमाल से ही हिंसक भीड़तन्त्र व भीड़हत्या को रोकने के हर उपाय किये जा सकते हैं, परन्तु जिस प्रकार से यह रोग लगातार फैल रहा है, उस सन्दर्भ में अलग से भीड़तन्त्र-विरोधी कानून बनाने क ...
झारखंड में तबरेज अंसारी की मौत में पुलिस और डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है। तीन सदस्यों वाली एक जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। मुस्लिम युवक तरबेज (24) को भीड़ ने कथित तौर पर बेरहमी से पीट ‘जय श्री राम’, ‘ जय हनुमान’ बोलने को मजबूर किया ...
आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने गुरुवार को कहा कि ''ऐसी घटनाओं के मददेनजर आयोग ने स्वत:संज्ञान लेते हुये भीड़तंत्र की हिंसा को रोकने के लिये राज्य सरकार को विशेष कानून बनाने की सिफारिश की है।'' ...
न्यायमूर्ति एचसी मिश्र और न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ‘मॉब लिंचिंग’ की घटना पर सरकार से रिपोर्ट मांगी है। ...