माघ मेला की शुरुआत हर साल पौष पूर्णिमा से होती है और महाशिवरात्रि तक जारी होता है। इस डेढ़ महीने के दौरान पवित्र नदियों में स्नान और फिर दान की परंपरा है। पौष पूर्णिमा के अलावा जिन महत्वपूर्ण दिनों में स्नान और दान की परंपरा है, वे हैं- मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि। इसमें अमावस्या तिथि को बेहद शुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर देवता धरती पर रूप बदलकर आते हैं और संगम में स्नान करते हैं। Read More
सारथी रथ के साथ एक ग्राम (गांव) से एक ग्राम (वजन), सोना चला राम के नाम का उदघोष करते हुए आगे बढ़ेगा. संतों ने शंकराचार्य जी द्वारा प्रस्तुत स्वर्णजटित बाल मंदिर के निर्माण के विचार का अभिनंदन किया है. ...
Shivratri: माघ मास की मासिक शिवारात्रि आज है। इस दिन निराहार रहकर व्रत का पालन किया जाता है। महाशिवरात्रि की तरह मासिक शिवरात्रि में भी रात में शिवजी की पूजा का महत्व बहुत अधिक है। ...
Magh Mela: कड़ाके की ठंड और सर्द हवाओं के बावजूद सुबह से ही स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। माघ मेला 21 फरवरी, 2020 को महाशिवरात्रि स्नान के साथ संपन्न हो जाएगा। ...