चन्द्रग्रहण उस खगोलीय घटना को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी से ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में चला जाता है। इस दौरान सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक ही क्रम में लगभग सीधी रेखा में आ जाते हैं। विज्ञान के इतर हिन्दू धर्म में ज्योतिष शास्त्र की चन्द्रग्रहण की अपनी एक परिभाषा है जिसके अनुसार चंद्रमा के आगे राहु-केतु नाम की खगोलीय बिंदु बन जाती है। राहु-केतु ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक छाया ग्रह हैं। इनके प्रभाव से व्यक्ति विशेष पर बुरा असर पड़ता है इसलिए शास्त्रों में ग्रहण से बचने के लिए विभिन्न उपाय दर्ज हैं। Read More
गुरु पूर्णिमा के मौके पर देश भर के साईं मंदिरों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे हैं। गुरु पूर्णिमा के मौके पर सबसे विशेष आयोजन महाराष्ट्र स्थित शिरडी के साईं मंदिर में होता है। ...
Chandra Grahan (Lunar eclipse 2019): ऐसा माना जाता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए। इसका कारण यह है कि इस दौरान बनाए गए यौन संबंध से कोई बच्चा होता है, तो उसे जीवनभर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ...
चंद्र ग्रहण 16 व 17 जुलाई की मध्य रात्रि के बाद शुरू होगा। भारत में चंद्रग्रहण का स्पर्श 16 जुलाई की देर रात 1.31 बजे शुरू होगा और इसका मध्य तीन बजे होगा। ग्रहण का मोक्ष रात 4.30 बजे होगा। ...
सनातन धर्म मानने वालों के अनुसार सूतक वह समय होता है जब कोई शुभ काम करने की मनाही होती है। सूतक काल सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण दोनों ग्रहणों के दौरान लगता है। साथ ही किसी घर में शिशु के जन्म या किसी के निधन के बाद भी उस परिवार के सदस्यों को कुछ दिन स ...
चंद्र ग्रहण 16 व 17 जुलाई की मध्य रात्रि के बाद शुरू होगा। भारत में चंद्रग्रहण का स्पर्श 16 जुलाई की देर रात 1.31 बजे शुरू होगा और इसका मध्य तीन बजे होगा। ...
पुराणों में चंद्रदेव के जन्म की कथा के अनुसार ब्रह्माजी को जब सृष्टि के रचने का विचार आया तो उन्होंने पहले मानस पुत्रों की रचना की। इन्हीं मानस पुत्रो में से एक ऋषि अत्रि का विवाह ऋषि कर्दम की कन्या अनुसुइया से हुआ था। ...
चंद्रग्रहण केवल धर्म के लिहाज से ही नहीं बल्कि विज्ञान के नजरिये से भी एक अहम मौका होता है। इस दौरान खगोलशास्त्री अंतरिक्ष से जुड़े शोध में जुटे होते हैं। ...