चन्द्रग्रहण उस खगोलीय घटना को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी से ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में चला जाता है। इस दौरान सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक ही क्रम में लगभग सीधी रेखा में आ जाते हैं। विज्ञान के इतर हिन्दू धर्म में ज्योतिष शास्त्र की चन्द्रग्रहण की अपनी एक परिभाषा है जिसके अनुसार चंद्रमा के आगे राहु-केतु नाम की खगोलीय बिंदु बन जाती है। राहु-केतु ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक छाया ग्रह हैं। इनके प्रभाव से व्यक्ति विशेष पर बुरा असर पड़ता है इसलिए शास्त्रों में ग्रहण से बचने के लिए विभिन्न उपाय दर्ज हैं। Read More
लद्दाख से लेकर तमिलनाडु तक लोगों की निगाहें रविवार को दुर्लभ पूर्ण चंद्र ग्रहण देखने के लिए आसमान की ओर टिकी रहीं। रात 9:57 बजे पृथ्वी की छाया ने चंद्रमा को ढकना शुरू कर दिया था। ...
चंद्र ग्रहण के दौरान एक लालिमा भी दिखाई देती है, इसलिए इसे 'ब्लड मून' भी कहा जाता है। अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. शुभेंदु पटनायक के अनुसार, अगला पूर्ण चंद्र ग्रहण 3 मार्च, 2026 को होगा। ...
विज्ञान इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है, फिर भी कई लोग सावधानी के तौर पर इनका पालन करते हैं, क्योंकि वे जोखिम से ज़्यादा सुरक्षा को महत्व देते हैं। ...
यह खगोलीय घटना भारतीय समयानुसार रात 8:57 बजे उपछाया चरण के साथ शुरू होगी। पूर्ण ग्रहण 8 सितंबर को रात 11:00 बजे से रात 12:22 बजे तक दिखाई देगा। इस दौरान, चंद्रमा गहरे लाल रंग में चमकेगा, जो मुंबईवासियों के लिए एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करेगा। ...
7 सितंबर, 2025 को चंद्रमा कुंभ राशि में गोचर करेगा और यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भाद्रपद माह की पूर्णिमा श्राद्ध के दिन घटित होगा, जिन लोगों की चंद्र दशा या महादशा चल रही है और चंद्रमा छठे, आठवें और बारहवें भाव में स्थित है, उन पर इस चंद्र ग्रहण का अधिक प् ...
Chandra Grahan 2025: पूर्ण चंद्र ग्रहण रात 11.01 बजे से रात 12.23 बजे तक रहेगा और इसकी अवधि 82 मिनट की होगी। आंशिक चरण रात 1.26 बजे समाप्त होगा और ग्रहण सात सितंबर देर रात 2.25 बजे समाप्त होगा। ...
यह ग्रहण 7 और 8 सितंबर की रात 8:58 बजे भारतीय समयानुसार शुरू होगा और चंद्रमा भारतीय समयानुसार रात 11:00 बजे पूर्ण अवस्था में पहुँच जाएगा। चंद्रमा लगभग 82 मिनट तक, यानी 8 सितंबर की रात 12:22 बजे तक, पूरी तरह से ढका रहेगा। ...