नई दिल्ली: आज के दौर में स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट आदि जरूरी उपकरण बन गए हैं। कई बार किसी दूसरे जगह जाने पर इनके अलग-अलग चार्जर ले जाना भी मजबूरी है। इसमें भी दिक्कत ये कि अगर कोई एक चार्जर भूल गए तो परेशानी बढ़ जाती है। हालांकि अब आने वाले दिनों में इन सभी परेशानियों से छूटकारा मिल सकता है।
दरअसल, सरकार मोबाइल फोन और अन्य पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक ही चार्जर के उपयोग की संभावना का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की समिति का गठन कर रही है। इसके बाद दो महीने में पूरी रिपोर्ट सौंपे जाने की उम्मीद है। सरकार 'कॉमन चार्जर पॉलिसी' को लागू करने की योजना बना रही है, जिसे आप 'वन नेशन वन चार्जर' रणनीति भी कह सकते हैं।
इसके अनुसार, स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट और हमारे दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले अन्य उपकरणों में एक ही तरह का चार्जर इस्तेमाल हो सकेगा। 'वन नेशन वन चार्जर' रणनीति को लागू करने से पहले सरकार ने भारतीय मोबाइल उद्योग के सभी प्रमुख हितधारकों के साथ बैठक भी की।
अगर इस नीति को सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो यह बड़े पैमाने पर ई-कचरे के मुद्दों को कम करने में मदद करेगा। इसके अलावा, यह हमारे दैनिक जीवन में एक अहम मुद्दे को भी हल करेगा, जिसमें एक से अधिक चार्जर को कही ले जाने की जरूरत पड़ती है। साथ ही इससे उपभोक्ताओं को चार्जर के साथ या उसके बगैर कोई डिवाइस खरीदने का विकल्प भी मिल सकता है। इससे कीमकों में कमी होगी।
माना जा रहा है कि एक-चार्जर नीति को व्यापक तौर पर लोकप्रियता भी मिलेगी। लोकलसर्किल (LocalCircles) के एक सर्वे के अनुसार दस में से नौ ग्राहक चाहते हैं कि सरकार स्मार्टफोन और टैबलेट के लिए एक तरह के चार्जिंग केवल को बढ़ावा दे।
जून में, यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने भी कहा था कि उन्होंने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए है, जिसके तहत यूरोपीय संघ के देशों में बेचे जाने वाले उत्पादों को अधिक टिकाऊ बनाने और इलेक्ट्रॉनिक कचरे में कटौती करने के व्यापक प्रयास के हिस्से के रूप में एक जैसी चार्जिंग कॉर्ड की जरूरत है।