लाइव न्यूज़ :

आज भी इस मूर्ति में धड़कता है भगवान कृष्ण का दिल, मंदिर के पुजारी भी हैं हैरान

By गुलनीत कौर | Published: December 26, 2018 7:08 PM

जगन्नाथ मंदिर की कृष्ण मूर्ति को हर 12 साल बाद दोबारा से बनाया जाता है। इस मूर्ति को बनाने के लिए खास लकड़ी और विशेष कारीगरों को उपयोग में लाया जाता है। 

Open in App

भगवान कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा-वृन्दावन में उनके बचपन से जुड़ी अनगिनत कहानियाँ प्रचलित हैं। इस जन्म भूमि से मीलों दूर दक्षिण भारत के जगन्नाथ में कृष्ण से जुड़ी रोचक कथाएं सुनने को मिलती हैं। कहते हैं यहां के जगन्नाथ मंदिर में स्वयं कृष्ण का वास है। यहां की एक मूर्ति के भीतर पिंड रूप में कृष्ण का दिल धड़कता है। 

इससे जुड़ी एक कहानी पुराणों में दर्ज है। इस कहानी के अनुसार द्वापर युग के अंत में भगवान विष्णु ने अपने मानवीय अवतार कृष्ण का त्याग किया था। जब उन्होंने इस युग में अपना शरीर छोड़ा और वैकुण्ठ की ओर प्रस्थान कर गए तो पीछे से पांडवों ने मिलकर कृष्ण का अंतिम संस्कार किया। कहा जाता है कि कृष्ण का शरीर तो जलकर राख हो गया लेकिन दिल निरंतर जलता ही रहा। उसकी अग्नि शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी।

फिर ईश्वर के आदेशानुसार पांडवों ने उस जलते हुए दिल का पिंड बनाया और उसे जल में प्रवाहित कर दिया। जल में जाते ही इस पिंड ने लट्ठे का रूप ले लिया। यह लट्ठा बहता हुआ दक्षिण भारत की ओर निकल गया और वहां राजा इन्द्रद्युम्न को मिल गया। राजा भगवान कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त था, इसलिए जब उसे उस लट्ठे की सच्चाई मालूम हुई तो उसने इसे एक कृष्ण मूर्ति के भीतर स्थापित करवा दिया। 

तब से लेकर आजतक इस लट्ठे को कृष्ण की मूर्ति के भीतर ही स्थापित किया जा रहा है। जगन्नाथ मंदिर की कृष्ण मूर्ति को हर 12 साल बाद दोबारा से बनाया जाता है। इस मूर्ति को बनाने के लिए खास लकड़ी और विशेष कारीगरों को उपयोग में लाया जाता है।

कहते हैं कि इस मंदिर की कृष्ण मूर्ति को पहली बार जिन कारीगरों ने बनाया था, उन्हीं के वंशजों से यह मूर्ति तैयार कराई जाती है। कृष्ण का दिल कहे जाने वाले लट्ठ में ब्रह्मा का वास माना जाता है। इसलिए इस लट्ठ को देखने या हाथों से छूने की अनुमति कारीगरों को भी नहीं होती है। 

लट्ठ को मूर्ति के भीतर स्थापित करते समय कारीगरों/पुजारियों की आंखों पर पत्ती बाँध दी जाती हैं। उनके हाथों पर भी कपड़ा लिपटा होता है। मूर्ति बनाने वाले पुजारी कहते हैं कि मूर्ति के भीतर लट्ठा स्थापित करने के लिए जब वह लट्ठ हमारे हाथ में आता है तो ऐसा लगता है कि कोई खरगोश हाथों में फुदक रहा है। वह लट्ठ खरगोश की खाल जैसा मुलायम होता है।

यह भी पढ़ें: नववर्ष आने से पहले ही कर लें ये 7 सरल काम, खुशियों से भर जाएगा घर-परिवार

जगन्नाथ मंदिर के पंडितों के अनुसार किसी को भी कृष्ण के दिल वाले इस लट्ठे को देखने की अनुमति नहीं होती है। इसके पीछे मान्यता है कि जो कोई भी इस लट्ठ को देख ले उसकी मृत्यु हो जाती है। जिसदिन कृष्ण की मूर्ति में लट्ठ को स्थापित किया जाता है उसदिन उड़ीसा सरकार द्वारा पोरे राज्य की बिजली काट दी जाती है। किसी को भी उजाला करने की अनुमति नहीं होती। गहरे अँधेरे में कृष्ण की मूर्ति में लट्ठ को स्थापित किया जाता है। 

टॅग्स :भगवान कृष्णरहस्यमयी मंदिर
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठGita Jayanti 2023 Date: कब है गीता जयंती? जानें क्या है इस दिन का महत्व और इससे जुड़ी परंपरा

पूजा पाठMargashirsha Amavasya 2023: आज है साल की आखिरी अमावस्या, जानें इस दिन का महत्व और सब कुछ

पूजा पाठMargashirsha Amavasya 2023: इस साल की आखिरी अमावस्या है बेहद खास, जानें तारीख और दान-स्नान का समय

पूजा पाठMargashirsha Month 2023: श्रीकृष्ण का प्रिय मार्गशीष माह आज से शुरू, जानें इस महीने पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार

पूजा पाठVaranasi: काशी में कान्हा ने किया कालिया नाग का मान मर्दन, देखने के लिए उमड़ी हजारों की भीड़

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 13 January: आज इन 5 राशिवालों के भाग्य में हैं खुशियां, जानिए क्या कहते हैं आपके सितारे

पूजा पाठआज का पंचांग 13 जनवरी 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठMakar Sankranti 2024: देश के अलग-अलग राज्यों में इस तरह मनाई जाती है मकर संक्रांति, जानें इसकी खासियत

पूजा पाठHindu Marriage: आखिर सात फेरों के बिना दुल्हनियां क्यों नहीं बनती पिया की सांवरी, कैसे होता है हिंदुओं में विवाह, किस विवाह को माना जाता है श्रेष्ठ, जानिए यहां

पूजा पाठLohri 2024: लोहड़ी के दिन आग में क्यों डालते हैं पॉपकॉर्न? जानें सर्दियों में इसे खाने के लाभ