Kedarnath Kapat Closing 2024: केदारनाथ, गंगोत्री धाम और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट रविवार को भाई दूज के अवसर पर वैदिक अनुष्ठानों के बीच बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों, मंदिर समिति और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। मंदिर समिति के अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ मंदिर सुबह 8:30 बजे और यमुनोत्री मंदिर दोपहर 12:05 बजे बंद कर दिए गए। दोनों मंदिरों के कपाट बंद होने के बाद केदारनाथ में भगवान शिव और यमुनोत्री की अधिष्ठात्री देवी यमुना की मूर्तियां पालकियों में सवार करके इनके शीतकालीन निवास उखीमठ और खरसाली भेजी गईं।
हिमालयी मंदिर के कपाट बंद होने का समारोह देखने के लिए 18,000 से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ पहुंचे। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि मंदिर के कपाट बंद होने से पहले तड़के चार बजे एक भव्य समारोह शुरू हुआ। बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि यात्रा सीजन के दौरान 16.5 लाख से अधिक तीर्थयात्री पूजा-अर्चना के लिए केदारनाथ पहुंचे। गढ़वाल हिमालय में 11,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
यह हर साल लाखों तीर्थयात्रियों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थस्थल होता है। मंदिर सर्दी के दौरान बर्फ गिरने के कारण बंद रहता है। मंदिर समिति के एक अधिकारी ने बताया कि यमुनोत्री धाम अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:05 बजे बंद कर दिया गया। एक अन्य चारधाम मंदिर गंगोत्री को शनिवार को बंद कर दिया गया था। बद्रीनाथ 17 नवंबर को बंद होगा।
गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री मंदिर के कपाट शनिवार को अन्नकूट के पावन अवसर पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। मंदिर समिति के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। गढ़वाल हिमालय में स्थित चार धाम (केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के कपाट शीतकाल में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
गंगोत्री मंदिर समित के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि समुद्र तल से करीब 10,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री मंदिर के कपाट अन्नकूट के शुभ अवसर पर धार्मिक अनुष्ठानों के बीच दोपहर 12.14 बजे बंद कर दिए गए। सेमवाल ने बताया कि भक्तों और पुजारियों के “हर हर गंगे, जय मां गंगे” का उद्घोष लगाने के बीच गंगोत्री मंदिर के कपाट औपचारिक रूप से बंद कर दिए गए, जिसके बाद देवी गंगा की प्रतिमा एक पालकी में रखकर मुखबा के लिए रवाना की गई, जहां पूरे शीतकाल के दौरान उनकी पूजा की जाएगी।
चार धाम में गंगोत्री मंदिर के कपाट सबसे पहले बंद किए गए। इस बार आठ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने इस मंदिर में दर्शन किए। यमुनोत्री और केदारनाथ मंदिर के कपाट रविवार को, जबकि बदरीनाथ मंदिर के कपाट 17 नवंबर को बंद किए जाएंगे। इन चारों मंदिरों के कपाट हर साल अप्रैल-मई में गर्मियों की शुरुआत के बाद खोले जाते हैं।
बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को बंद होंगे
उत्तराखंड में बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को रात नौ बजकर सात मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर समिति ने शनिवार को यह जानकारी दी। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि परंपरा के अनुसार, हिंदू कैलेंडर और खगोलीय पिंडों की स्थिति के आकलन के बाद शनिवार को विजयादशमी के अवसर पर कपाट बंद करने की तिथि और समय का मुहूर्त तय किया गया। इस वर्ष बद्रीनाथ में 11 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये।
जबकि केदारनाथ में 13.5 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। इसी तरह, रुद्रनाथ के कपाट 17 अक्टूबर को, तुंगनाथ के चार नवंबर को और मदमहेश्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद होंगे। बर्फ से ढके रहने के कारण उत्तराखंड के ये मंदिर सर्दियों में बंद रहते हैं, जहां हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं।