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फूलपुर लोकसभा उपचुनावः जातीय समीकरण साधकर संसद पहुंचने की कवायद, इन मुद्दों की बात कौन करेगा?

By आदित्य द्विवेदी | Published: March 09, 2018 1:05 PM

Phulpur Lok Sabha Bypolls 2018: चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक दल अहम मुद्दों को दरकिनार करते हुए जातीय गणित बिठा रहे हैं।

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स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी जैसे मुद्दे वोटरों के जातीय समीकरण के आगे फीके पड़ जाते हैं। फूलपुर लोकसभा उपचुनाव भी इससे अछूता नहीं हैं। चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक दल अहम मुद्दों को दरकिनार करते हुए जातीय गणित बिठा रहे हैं। पटेल बहुल संसदीय क्षेत्र में भाजपा और सपा के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। दिलचस्प बात ये है कि दोनों ही पार्टियों ने चुनावी मैदान में पटेल उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड खेला है। मुस्लिम समुदाय के वोटरों पर दावा ठोंकते हुए एक माफिया चुनाव मैदान में हैं। बता दें कि फूलपुर लोकसभा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का संसदीय क्षेत्र रहा है।

फूलपुर लोकसभाः किसने किसपर खेला दांव?

फूलपुर लोकसभा सीट के लिए भाजपा और सपा दोनों पार्टियों ने पटेल उम्मीदवार उतारा है। भाजपा की तरफ से कौशलेंद्र सिंह पटेल प्रत्याशी हैं वहीं सपा ने नागेंद्र सिंह पटेल पर दांव खेला है। कांग्रेस ने मनीष मिश्रा को टिकट दिया है। बहुजन समाज पार्टी इस बार चुनाव नहीं लड़ रही है। सुप्रीमो मायावती ने सपा प्रत्याशी को समर्थन देने का फैसला किया है।

फूलपुर लोकसभाः जातीय समीकरण

भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि ब्राह्मण और वैश्य उनका परंपरागत वोटर है। कौशलेंद्र पटेल को प्रत्याशी बनाने के पीछे भाजपा की सोच है कि वो ग्रामीण क्षेत्र से पटेल वोट ला पाएंगे। फूलपुर में पटेल जाति के वोटरों की संख्या सर्वाधिक है। इस चुनाव में सपा प्रत्याशी नागेंद्र पटेल को बसपा का समर्थन मिला है।

यह भी पढ़ेंः- फूलपुर लोकसभा उपचुनावः जवाहर लाल नेहरू की पारंपरिक सीट पर सपा-भाजपा में मुकाबला

सपा को भरोसा है कि यादव और दलित वोटर उसके खेमे में आ जाएंगे। नागेंद्र पटेल क्षेत्रीय नेता हैं। वो पटेल वोटरों को भी लुभाएंगे। इसके अलावा सपा को मुस्लिम वोट मिलने की भी उम्मीद है। हालांकि इस रात में माफिया अतीक अहमद एक बड़ा रोड़ा हैं। उन्हें इस उपचुनाव में वोटकोटवा की भूमिका में देखा जा रहा है। कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी को टिकट देकर अपनी जमीन तलाशने की कोशिश की है। यहां देखिए फूलपुर लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण...

जातिकैटेगरीवोटरों की संख्यावोट प्रतिशत
दलितएससी3,57,00018.42
पटेल ओबीसी2,59,00013.36
मुस्लिमअल्पसंख्यक2,50,00012.90
ब्राह्मणसामान्य2,25,00011.61
यादवओबीसी2,10,00010.83
वैश्यओबीसी1,04,0005.37
कायस्थसामान्य97,0005.00
क्षत्रियसामान्य80,0004.13
भुमिहारओबीसी45,0002.32
मौर्यओबीसी43,0002.22
पालओबीसी30,0001.55
अन्य ओबीसीओबीसी45,0002.32
अन्य 1,93,2189.97

*आंकड़े अनुमानित हैं

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फूलपुर लोकसभाः अन्य जरूरी बातें

- फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 19,35,218 मतदाता हैं। - पुरुष मतदाताओं की संख्या 10,70,897 है।- महिला मतदाताओं की संख्या 8,64,321 है।- 18 से 35 आयुवर्ग के मतदाताओं की संख्या 41 प्रतिशत है।- 2011 की जनगणना के मुताबिक इस क्षेत्र में 85 प्रतिशत हिंदू और 13 प्रतिशत मुस्लिम रहते हैं।

यह भी पढ़ेंः- गोरखपुर लोकसभा उपचुनावः इन बड़े मुद्दों के बीच जातीय समीकरण साधने पर जोर

फूलपुर लोकसभाः उपचुनाव के कुछ प्रमुख मुद्दे

- इफको को छोड़कर इस संसदीय क्षेत्र में कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है।

- बेरोजगारी के मुद्दे पर युवाओं में रोष है। भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

- इलाहाबाद उत्तरी के कुछ इलाकों में बरसात में मौसम में घरों में पानी भर जाता है।

- इलाहाबाद पश्चिमी में अवैध कालोनियां और ड्रेनेज सिस्टम बड़ी समस्या है।

- फाफामऊ भी बाढ़ की समस्या से ग्रसित है। गंगा पर एकमात्र पुल होने से यहां ट्रैफिक एक बड़ी समस्या है।

- उखड़ी सड़कें सोरांव की एक बड़ी समस्या है।

फूलपुर लोकसभाः ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

फूलपुर लोकसभा सीट से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू चुनाव लड़ते थे। 1952, 1957 और 1962 में फूलपुर सीट से चुनाव वो लोकसभा पहुंचे थे। उनके निधन के बाद फूलपुर से उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित चुनाव लड़ती रही और लगातार दो बार सांसद चुनी गई। 1969 के उपचुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्र ने चुनाव जीता। 1971 में यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के खाते में गई और वीपी सिंह जीते। 1984 में रामपूजन पटेल ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की। 1989 और 1991 के चुनाव में रामपूजन पटेल ने जनता दल के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद यह सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से चली गई और 1996 से 2004 तक सपा के सांसद रहे। 2009 लोकसभा चुनाव में बीएसपी के कपिल मुनि करवरिया ने जीत दर्ज की थी।

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