फूलपुर लोकसभा चुनाव 2019: नेहरू की पारंपरिक सीट का रोचक इतिहास, जानें ताजा राजनीतिक समीकरण
By आदित्य द्विवेदी | Published: March 8, 2019 04:04 PM2019-03-08T16:04:13+5:302019-03-08T16:06:34+5:30
Phulpur Lok Sabha: देशभर में लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां चुनावी क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण बिठाने में जुट गई हैं। आज पढ़िए उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास और वर्तमान राजनीतिक समीकरण...
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से फूलपुर लोकसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस सीट से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू चुनाव लड़ते थे। साल 1952, 1957 और 1962 में फूलपुर सीट से चुनाव जीतकर वो लोकसभा पहुंचे थे। उनके निधन के बाद फूलपुर से उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित चुनाव लड़ती रही और लगातार दो बार सांसद चुनी गई। 1969 के उपचुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्र ने चुनाव जीता। 1971 में यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के खाते में गई और वीपी सिंह जीते। 1984 में रामपूजन पटेल ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की। 1989 और 1991 के चुनाव में रामपूजन पटेल ने जनता दल के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद यह सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से चली गई और 1996 से 2004 तक सपा के सांसद रहे। 2009 लोकसभा चुनाव में बीएसपी के कपिल मुनि करवरिया ने जीत दर्ज की थी।
फूलपुर लोकसभाः 2014 के नतीजे
2014 लोकसभा चुनाव की मोदी लहर में फूलपुर सीट पर बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्य ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। 2017 में उत्तर प्रदेश का उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद यहां उपचुनाव करवाए गए। 2018 उपचुनाव में यहां से समाजवादी पार्टी के नागेंद्र सिंह ने बीजेपी के कौशलेंद्र सिंह पटेल को हराया। इस हार के बाद बीजेपी की काफी फजीहत हुई थी।
फूलपुर लोकसभाः कुछ जरूरी बातें
- फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 19,35,218 मतदाता हैं।
- पुरुष मतदाताओं की संख्या 10,70,897 है।
- महिला मतदाताओं की संख्या 8,64,321 है।
- 18 से 35 आयुवर्ग के मतदाताओं की संख्या 41 प्रतिशत है।
- 2011 की जनगणना के मुताबिक इस क्षेत्र में 85 प्रतिशत हिंदू और 13 प्रतिशत मुस्लिम रहते हैं।
फूलपुर लोकसभाः उपचुनाव के कुछ प्रमुख मुद्दे
- इफको को छोड़कर इस संसदीय क्षेत्र में कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है।
- बेरोजगारी के मुद्दे पर युवाओं में रोष है। भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
- इलाहाबाद उत्तरी के कुछ इलाकों में बरसात में मौसम में घरों में पानी भर जाता है।
- इलाहाबाद पश्चिमी में अवैध कालोनियां और ड्रेनेज सिस्टम बड़ी समस्या है।
- फाफामऊ भी बाढ़ की समस्या से ग्रसित है। गंगा पर एकमात्र पुल होने से यहां ट्रैफिक एक बड़ी समस्या है।
- उखड़ी सड़कें सोरांव की एक बड़ी समस्या है।
फूलपुर लोकसभाः जातीय समीकरण
जाति | कैटेगरी | वोटरों की संख्या | वोट प्रतिशत |
---|---|---|---|
दलित | एससी | 3,57,000 | 18.42 |
पटेल | ओबीसी | 2,59,000 | 13.36 |
मुस्लिम | अल्पसंख्यक | 2,50,000 | 12.90 |
ब्राह्मण | सामान्य | 2,25,000 | 11.61 |
यादव | ओबीसी | 2,10,000 | 10.83 |
वैश्य | ओबीसी | 1,04,000 | 5.37 |
कायस्थ | सामान्य | 97,000 | 5.00 |
क्षत्रिय | सामान्य | 80,000 | 4.13 |
भुमिहार | ओबीसी | 45,000 | 2.32 |
मौर्य | ओबीसी | 43,000 | 2.22 |
पाल | ओबीसी | 30,000 | 1.55 |
अन्य ओबीसी | ओबीसी | 45,000 | 2.32 |
अन्य | 1,93,218 | 9.97 |