गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव 2018: इन बड़े मुद्दों के बीच जातीय समीकरण साधने पर जोर
By आदित्य द्विवेदी | Published: March 8, 2018 07:31 AM2018-03-08T07:31:23+5:302018-03-10T10:05:02+5:30
Gorakhpur Lok Sabha Bypolls 2018: रोजगार, धान की फसल का उचित दाम, जीएसटी, खादों की कालाबाजारी, ऋणमाफी जैसे कुछ अहम मुद्दों के बीच दोनों पार्टियां जातीय समीकरण साधने में जुटी हुई हैं।
गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला है। रोजगार, धान की फसल का उचित दाम, जीएसटी, खादों की कालाबाजारी, ऋणमाफी जैसे कुछ अहम मुद्दों के बीच दोनों पार्टियां जातीय समीकरण साधने में जुटी हुई हैं। बीजेपी ने उपेंद्र शुक्ला को उम्मीदवार बनाकर ब्राह्मण कार्ड खेला है वहीं समाजवादी पार्टी ने प्रवीण निषाद को प्रत्याशी बनाकर ओबीसी कार्ड चला है। डॉ. सुरहिता चटर्जी करीम कांग्रेस पार्टी की दावेदारी पेश कर रही हैं। बहुजन समाज पार्टी ने सपा उम्मीदवार को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। इस सीट पर 11 मार्च को मतदान और 14 मार्च को मतगणना की जाएगी।
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गोरखपुर लोकसभाः कुछ जरूरी बातें
- गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 19,28,108 मतदाता हैं।
- पुरुष मतदाताओं की संख्या 10,68,561 है।
- महिला मतदाताओं की संख्या 8,59,547 है।
- 18 से 35 आयुवर्ग के मतदाताओं की संख्या 42 प्रतिशत है।
- 2011 की जनगणना के मुताबिक इस क्षेत्र में 90.28 प्रतिशत हिंदू रहते हैं।
गोरखपुर लोकसभाः जातीय समीकरण
गोरखपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी अगड़ों के वोट पर नजर टिकाए हुए। बीजेपी को उम्मीद है कि ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य और सैथवार जातियां उनके पाले में वोट कर सकती हैं। सपा ने प्रवीण निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है। यहां निषाद वोट करीब 16 प्रतिशत है। इसके अलावा मायावती के समर्थन से दलित वोट भी सपा को मिल सकता है। मुस्लिम वोट कांग्रेस और सपा में बंट जाने की उम्मीद है। नीचे चार्ट में देखिए गोरखपुर लोकसभा का पूरा जातीय समीकरण...
जाति | कैटेगरी | वोटर प्रतिशत | वोटरों की संख्या |
---|---|---|---|
ब्राह्मण | सामान्य | 11.39 | 2,20,000 |
ठाकुर | सामान्य | 10.88 | 2,10,000 |
वैश्य | सामान्य | 10.36 | 2,00,000 |
निषाद | ओबीसी | 16.05 | 3,10,000 |
सैथवार | ओबीसी | 7.51 | 1,45,000 |
कायस्थ | जनरल | 3.11 | 60,000 |
यादव | ओबीसी | 6.73 | 1,30,000 |
विश्वकर्मा | ओबीसी | 2.18 | 42,000 |
मुस्लिम | अल्पसंख्यक | 9.32 | 1,80,000 |
जाटव | एससी | 7.77 | 1,50,000 |
पासी | एससी | 3.11 | 60,000 |
बेलदार | एससी | 1.81 | 35,000 |
भर | एससी | 2.85 | 55,000 |
नाई | एससी | 1.86 | 36,000 |
अन्य एससी | एससी | 3.63 | 70,000 |
अन्य | एससी | 1.45 | 28,000 |
गोरखपुर लोकसभाः प्रमुख चुनावी मुद्दे
- गोरखपुर में बिजली एक ऐसा मुद्दा जिसका फायदा सत्ता और विपक्ष दोनों उठा सकते हैं। दरअसल, यहां बिजली की आपूर्ति तो बहुत अच्छी है जिसका फायदा बीजेपी को मिलेगा लेकिन बिजली की दर अधिक है जिसे सपा और कांग्रेस मुद्दा बना सकती हैं।
- यहां किसानों में नाराजगी है। बीजेपी ने कर्जमाफी की घोषणा तो की लेकिन किसानों तक इसका व्यापक फायदा नहीं पहुंचा। फसलों के कम दाम भी किसानों की एक बड़ी समस्या है। यह मुद्दा भाजपा के खिलाफ जा सकता है। धान की कालाबाजारी भी यहां एक बड़ी समस्या है।
- उर्रवरक, खाद और बीज की काला बाजारी भी एक बड़ी समस्या है।
- बालू खनन में रोक से कीमतों में बहुत उछाल आया है और घर बनाना महंगा हो गया है।
- बेरोजगारी से युवाओं में रोष है।
- AIIMS भी एक ऐसा मुद्दा है जिसका फायदा सत्ता और विपक्ष दोनों उठा सकते हैं। सरकार ने एम्स की घोषणा तो की लेकिन उसका काम काफी धीरे चल रहा है।
- रामगढ़ ताल परियोजना के तहत अभी तक कोई काम नहीं शुरू किया गया है। इसे एक टूरिस्ट स्पॉट बनाने की योजना थी।
- कछेरी और रुस्तमपुर में ओवर ब्रिज भी काफी समय से पेंडिंग है।
गोरखपुर लोकसभाः ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
साल 1952 में गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का गठन हुआ था। इसके अंतर्गत कुल पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं। ताप्ती और रोहिनी नदी के किनारे बसा यह लोकसभा क्षेत्र गोरखनाथ मठ की पारंपरिक लोकसभा सीट मानी जाती है। यहां पहले गोरखनाथ मठ के महंत अवैद्यनाथ सांसद रहे हैं। अवैद्यनाथ की मृत्यु के बाद योगी आदित्यनाथ ने चुनाव लड़ना शुरू किया और 1998 से 2017 तक सांसद रहे।