जानें नासिक के एक साधारण किसान का बेटा कैसे बना वड़ोदरा का महाराजा...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 13, 2020 04:46 PM2020-03-13T16:46:41+5:302020-03-13T16:46:41+5:30

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गोपाल काशीराव गायकवाड़ नासिक के मालेगाँव तालुका के कवलाना गाँव के एक साधारण किसान के बेटे थे।

गोपाल काशीराव को पढ़ना-लिखना नहीं आता था, लेकिन बाद में इन्हें वड़ोदरा के राजवंश के रूप में अपनाया गया और उनका नाम "सयाजीराव तृतीय" रखा गया।

महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ शिक्षा के महत्व जानते हुए उन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में विशेष योगदान दिया।

महाराजा सयाजीराव जानते थे कि भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए शिक्षा का कोई विकल्प नहीं है इसलिए उन्होंने बड़ोदरा में कई सुधारात्मक कार्य किए।

ज्ञान से अधिक पवित्र कुछ भी नहीं है। राजा का उद्धार लोगों के कल्याण में है, और धर्म को गरीबों की देखभाल करनी चाहिए। यह सयाजीराव का धर्मशास्त्र है।

उन दिनों जब देश में सरकारी शिक्षा उपलब्ध नहीं थी, तब महाराज ने सोनगढ़ क्षेत्र में अछूतों और आदिवासियों के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा दी।

उन्होंने 1919 में अमरेली प्रांत में अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा शुरू की। 1979 में अनिवार्य और मुफ्त प्राथमिक शिक्षा का कानून बनाया गया था।

लोकमान्य तिलक ने कहा था, “बड़ौदा भारत में महान लोगों और भविष्य की स्वतंत्र भारतीय प्रयोगशाला बनाने के लिए एक प्रशिक्षण स्कूल है। सयाजीराव महाराज इस बात का प्रयोग कर रहे हैं कि एक स्वतंत्र भारत को कैसे संचालित किया जाना चाहिए।

सयाजीराव ने बालगंधर्व, चिंतामणराव वैद्य, कांतावाला, दादा दादाभाई नौरोजी, सावित्रीबाई फुले, विट्ठल रामजी सिंधिया और कवि चंद्रशेखर की मदद से काम किया।

महात्मा गांधी, महात्मा फुले, राजर्षि शाहू, डॉ. अम्बेडकर, सावरकर, लोकमान्य तिलक, गोपाल गणेश आगरकर, लाला लाजपतराय, श्यामजी कृष्ण वर्मा, जमशेदजी टाटा, राजा रवि वर्मा, कर्मवीर भाउराव, अब्दुल करीम खान, पं. मालवीय, न्यायमूर्ति रानाडे, पंडित शिवकर तलपड़े, योगी अरविंद घोष, बी.एस. केशवराव देशपांडे, खसराव जाधव, मूर्तिकार कोल्हाटकर और कई युवा और क्रांतिकारी जिन्होंने क्रांतिकारी की मदद की, उनकी वैचारिक विरासत आज के परिवेश में सभी धर्मों की प्रेरणा है। (जानकारी: धारा भांड मलुंकर, साहित्य)