Delhi LS polls 2024: दिल्ली में भाजपा के आठ विधायक, लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी, साधे एक तीर से दो निशाने, आप-कांग्रेस छोड़कर आएं नेता पर लगेगा दांव!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 6, 2024 12:23 PM2024-05-06T12:23:52+5:302024-05-06T12:25:23+5:30
Delhi LS polls 2024: दिल्ली में भाजपा के केवल आठ विधायक हैं, ऐसे में आप का दामन छोड़कर आने वाले नेता और कांग्रेस में लंबे समय तक मंत्री और विधायक रहने वाले चेहरे भाजपा में आकर अपने गढ़ में भाजपा को मजबूत जरूर करेंगे।
राहुल शर्मा, नई दिल्लीः दिल्ली में आगामी 25 मई को लोकसभा चुनाव है और भाजपा का मुकाबला कांग्रेस-आप गठबंधन के तहत मैदान में उतरे उम्मीदवारों से है। वहीं हर दिन आप-कांग्रेस से पार्टी छोड़कर आने वाले पदाधिकारी और कार्यकर्ता भाजपा में लगातार शामिल हो रहे हैं। इनके भाजपा में आने से वोट प्रतिशत कितना बढ़ेगा, यह तो चुनाव का परिणाम ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है कि कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए कुछ नेताओं को पार्टी में लाकर भाजपा 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव की जमीन को अभी से मजबूत कर रही है। दिल्ली में भाजपा के केवल आठ विधायक हैं, ऐसे में आप का दामन छोड़कर आने वाले नेता और कांग्रेस में लंबे समय तक मंत्री और विधायक रहने वाले चेहरे भाजपा में आकर अपने गढ़ में भाजपा को मजबूत जरूर करेंगे।
इसी को ध्यान में रखकर अभी से पार्टी जोड़-तोड़ का गणित बिठा रही है। दिल्ली में पिछले दो माना जा रहा है कि भाजपा आप-कांग्रेस के नेताओं को पार्टी में शामिल कर एक तीर से दो निशाने लगा रही है। पहला लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर विरोधी दलों में तोड़फोड़ से गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को प्रभावित करना, दूसरा अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर अपनी जमीन को तैयार करना है।
इसके लिए भाजपा विरोधी दलों के उन नेताओं को भाजपा का पटका पहनाने में लगी है जिनका अपनी पार्टी में मजबूत आधार रहा है और अब वे भाजपा में आकर पार्टी की मजबूती के लिए काम करेंगे। लोकसभा चुनाव से लगातार भाजपा के प्रत्याशी सातों सीटों पर जीतने में कामयाब रहे हैं।
लेकिन इस बार मुकाबला गठबंधन के तहत प्रत्याशियों से है तो माना जा रहा था कि टक्कर कुछ सीटों पर जबरदस्त हो सकती है, लेकिन जिन नेताओं के दम पर गठबंधन वाले दल मजबूती का दावा कर रहे थे, एकाएक उनकी पार्टी को छोड़कर रोजाना जा रहे नेताओं से कहीं न कहीं, कुछ हद तक वोट प्रतिशत प्रभावित होना तय है।