पूर्व प्रधानमंत्री और सबके चहेते अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा को देखने लोगों का हुजूम उमड़ उठा है। दिल्ली की 25 सड़कों से यातायात रोक दिया गया है और 20 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए हैं। अटल जी का पार्थिव शरीर 17 अगस्त की सुबह कृष्णा मेनन स्थित उनके आवास से बीजेपी मुख्यालय ले जाया गया। यहां दोपहर 1.30 बजे तक उन्हें अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा और इसके बाद राजकीय सम्मान से विदाई दी जाएगी। लेकिन क्या है ये राजकीय सम्मान, ये किनको मिलता है और अब तक इन्हें मिल चुका है, आगे पढ़ें खास रिपोर्ट:
क्या है राजकीय सम्मान?
किसी भी साधारण अंतिम संस्कार से इतर हटकर यह राजकीय सम्मान पूरे सम्मान के साथ किया जाता है। इस सम्मान में कई तरह की चीजें शामिल होती हैं। पहले ये सम्मान चुनिंदा लोगों को ही दिया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब स्टेट फ्यूनरल या राजकीय सम्मान इस बात पर निर्भर करता है कि मृत व्यक्ति का समाज में क्या ओहदा या कद रहा है।
किनको मिलता है राजकीय सम्मान?
भारत में राजकीय सम्मान वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्रियों को दिया जाता है। राजनीति, साहित्य, कानून, साइंस और कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले को भी राजकीय सम्मान दिया जा सकता है। इसके अलावा केंद्र सरकार चाहे तो किसी भी शख्स को यह सम्मान देने का आदेश दे सकती है। मगर हाल ही में इस नियम में बदलाव किये गये हैं जिसके बाद अब केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार को भी यह अधिकार मिला है कि वह देश के किसी भी सम्मानित नागरिक को राजकीय सम्मान दिला सकती है।
नागरिक सम्मान पाने वालों को भी मिल सकता है राजकीय सम्मान
बता दें कि देश के नागरिक सम्मान (भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्म भूषण) पाने वाले व्यक्ति भी इस सम्मान के हकदार हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए केंद्र या राज्य सरकार को सिफारिश करनी पड़ती है। राज्य का मुख्यमंत्री अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ विचार-विमर्श करके ही किसी व्यक्ति को राजकीय सम्मान दिला सकता है। एक बार निर्णय ले लिया जाए, तो यह आदेश राज्य के डीजीपी और पुलिस कमिश्नर तक पहुंचा दिया जाता है ताकि अंतिम विदाई के वक्त राजकीय सम्मान की सारी तैयारी की जा सके।
तिरंगे से ढ़का जाता है शव
जिन लोगों को राजकीय सम्मान से सम्मानित किया जाता है उनका शव 'कॉफिन' में रखा जाता है। सम्मान के साथ शरीर को तिरंगे से ढका जाता है। अंतिम संस्कार के समय यह तिरंगा स-सम्मान के साथ वापिस फोल्ड कर दिया जाता है। राजकीय सम्मान का पूरा इंतजाम राज्य सरकार की तरफ से किया जाता है जिसमें पुलिस का पूरा बंदोबस्त होता है।
मिलती है बंदूकों से सलामी
राजकीय सम्मान में व्यक्ति को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी जाती है। इसमें अंतिम संस्कार वाली जगह पर बंदूकों से हवाई फायर करके उन्हें सलामी दी जाती है। इस प्रक्रिया के बाद सभी पुलिसकर्मी अपनी बंदूकों को घुमाकर नीचे की ओर कर लेते हैं जो दुख का प्रतीक माना जाता है।
इस तरह मिलती है अंतिम विदाई
राजकीय सम्मान मिलने वाले पार्थिव शरीर को शहर की कुछ चुनिंदा जगहों से घुमाते हुए लाया जाता है। इसके लिए स्पेशल गाड़ी का इंतजाम किया जाता है। आजाद देश में गांधी जी ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें सबसे पहले राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी गई थी। गांधी जी की अंतिम यात्रा शहर भर में तोप गाड़ी से निकाली गई थी। बता दें कि गांधी के बाद अटल दूसरी ऐसी हस्ती हैं जिन्हें तोप गाड़ी पर अंतिम विदाई दी गई है।
बिगुल से 'लास्ट पोस्ट' की धुन बजाकर देते है अंतिम विदाई
राजकीय सम्मान में सेना की कुछ टुकड़ी बिगुल बजाकर अंतिम विदाई देती है। आपको बता दें बिगुल की इस धुन को लास्ट पोस्ट कहा जाता है जिसे युद्ध खत्म होने या दिन के खत्म होने पर बजाने वाली धुन के रूप में देखा जाता है। इस धुन को बजाकर शव को अंतिम विदाई दी जाती है।
इन लोगों को भी मिल चुका है राजकीय सम्मान:
वो प्रधानमंत्री जो मृत्यु के वक़्त पद पर थे और जिन्हें राजकीय सम्मान दिया गया
* जवाहरलाल नेहरू* लाल बहादुर शास्त्री* इंदिरा गांधी
इनके अलावा
* राजीव गांधी* मोरारजी देसाई* चंद्र शेखर सिंह* ज्योति बसु* ई के मालॉन्ग
कुछ ख़ास लोग
* महात्मा गांधी* मदर टेरेसा* गंगुभाई हंगल* भीमसेन जोशी* बाल ठाकरे* सरबजीत सिंह* एयर मार्शल * अर्जन सिंह* श्री देवीआदि को राजकीय सम्मान से सम्मानित किया गया है।