योग गुरु रामदेव की ओर से पिछले हफ्ते कोरोना की दवा के तौर पर पेश की गई पतंजलि की कोरोनिल टैबलेट को लेकर बहस जारी है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से प्रतिक्रिया आई है। WHO ने साफ किया है कि उसकी ओर से कोरोना के इलाज के लिए किसी भी पारंपरिक औषधि को मंजूरी नहीं दी गई है।
WHO के साउथ-ईस्ट एशिया की ओर से ये सफाई आई है। स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि उसने किसी भी पारंपरिक दवा के कोविड-19 के इलाज के लिए प्रभावी होने को लेकर कोई रिव्यू या सर्टिफिकेशन नहीं दिया है। WHO की ओर से आए बयान में किसी दवा या प्रोडक्ट का नाम नहीं लिया गया है।
WHO की ओर से ये बयान हाल में पतंजलि के उस दावे के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सर्टिफिकेशन स्कीम के तहत कोरोनिल टैबलेट को आयुष मंत्रालय से प्रमाण पत्र मिला है।
पतंजलि ने एक बयान में कहा था, ‘कोरोनिल को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के आयुष खंड से फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट (सीओपीपी) के तौर पर प्रमाण पत्र मिला है।'
हालांकि, कोरोना टैबलेट को लेकर आचार्य बालकृष्ण ने भी ट्वीट किया था कि इसे ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने WHO GMP कम्पलायंट सीओपीपी सर्टिफिकेट दिया है। उन्होंने कहा है कि WHO किसी भी दवा को मंजूर या नामंजूर नहीं करता है।
पिछले हफ्ते कोरोनिल पर रिसर्च पेपर किया गया था जारी
पतंजलि ने पिछले हफ्ते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और नितिन गडकरी की मौजूदगी में कोविड-19 इलाज में उपयोगी कोरोनिल के प्रभाव के समर्थन में शोध कार्य को जारी किया था।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बाबा रामदेव ने कहा था कि आयुष मंत्रालय ने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अब कोरोनिल टैबलेट को ‘कोविड-19 के इलाज में सहायक उपाय’ के रूप में मान्यता दी है। बयान में दावा किया गया है कि सीओपीपी के तहत कोरोनिल को अब 158 देशों में निर्यात किया जा सकता है।
उन्होंने साथ ही कहा, 'कोविड पर कोरोनिल के प्रभाव को लेकर अध्ययन कई प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं...यह न केवल कोविड के इलाज में काम करेगा बल्कि उसकी रोकथाम और ठीक करने के साथ उसके बाद के प्रभाव में भी मददगार होगा।'
बता दें कि पतंजलि ने आयुर्वेद आधारित कोरोनिल को पिछले साल 23 जून को पेश किया था, जब कोरोना महामारी अपने चरम पर थी। हालांकि, इसे गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि इसके पक्ष में वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी थी। इसके बाद आयुष मंत्रालय ने इसे सिर्फ ‘प्रतिरक्षा बढ़ाने’ वाली दवा के रूप में मान्यता दी।
(भाषा इनपुट)