बाबा रामदेव के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए को फटकारा, सार्वजनिक माफी मांगने को कहा, जानें मामला
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: May 14, 2024 14:28 IST2024-05-14T14:26:21+5:302024-05-14T14:28:38+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शीर्ष अदालत की पीठ के खिलाफ मीडिया में अपने बयानों के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की खिंचाई की। यह मामला पतंजलि आयुर्वेद मामले में कार्यवाही से संबंधित है।

(फाइल फोटो)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शीर्ष अदालत की पीठ के खिलाफ मीडिया में अपने बयानों के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की खिंचाई की। यह मामला पतंजलि आयुर्वेद मामले में कार्यवाही से संबंधित है। जब पतंजलि आयुर्वेद मामले में कार्यवाही विचाराधीन थी तब आईएमए ने मीडिया में बयान दिए थे। शीर्ष अदालत ने आईएमए अध्यक्ष आर वी अशोकन से बिना शर्त माफी मांगने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की उस अपील को भी खारिज कर दिया जिसमें सार्वजनिक माफी जारी करने के लिए दिए आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया गया था।
पीठ ने सख्त टिप्पणी की और कहा, "हमें आपसे अधिक जिम्मेदारी की उम्मीद थी। आपने ऐसे बयान क्यों दिए। आपने काफी नुकसान पहुंचाने वाले बयान दिए। आप ही हैं जिन्होंने दूसरे पक्ष को अदालत में घसीटा। लेकिन आपने वही किया.. अदालत के आदेश के बाद आप ऐसा करते हैं।" पीठ ने कहा कि आईएमए ने जो कुछ भी कहा उसे गंभीरता से लेते हुए दूसरे पक्ष के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की। अदालत ने कहा कि आप सोफे पर बैठकर अदालत की खिल्ली उड़ाते हुए साक्षात्कार नहीं दे सकते। आपने सार्वजनिक माफी क्यों नहीं मांगी। आप कह रहे हैं कि आप अदालत का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करते। कोई आत्म-संयम नहीं दिखता।''
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने इस बात का संज्ञान लिया कि पतंजलि की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कंपनी के तीन उत्पादों के विज्ञापन वापस लेने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने वाला हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा है। इन तीन उत्पादों का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। पीठ ने कहा कि तीन सप्ताह के अंदर हलफनामा दायर किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले पतंजलि आयुर्वेद और इसके संस्थापकों बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुनवाई के दौरान आईएमए और केंद्र सरकार से सवाल किए थे। अदालत आईएमए द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पतंजलि आयुर्वेद और उसके संस्थापकों पर कोविड 9 टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ बदनामी अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।