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ताजमहल से जुड़ी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, कहा- हम यहां इतिहास खंगालने के लिए नहीं हैं, जानें पूरा मामला

By भाषा | Published: December 05, 2022 3:14 PM

ताजमहल के निर्माण और उसके बारे में कथित तौर पर इतिहास में गलत तथ्य दिए जाने का दावा करते हुए सुरजीत सिंह यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के समक्ष ऐसे मामला उठाने को कहा।

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ठळक मुद्देयाचिका में ताजमहल के निर्माण से संबंधित कथित गलत ऐतिहासिक तथ्यों को हटाने की थी मांग।ताजमहल कितना पुराना है, याचिका में इसका भी पता लगाने की मांग रखी गई थी।याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि जहां ताजमहल है, वहां पहले से ही एक शानदार हवेली मौजूद थी।

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने इतिहास की किताबों से ताजमहल के निर्माण से संबंधित कथित गलत ऐतिहासिक तथ्यों को हटाने और स्मारक कितने साल पुराना है यह पता लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की एक पीठ ने याचिकाकर्ता से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के समक्ष यह मामला उठाने को कहा।

पीठ ने कहा, ‘‘ याचिका का मतलब लंबित जांच-पड़ताल पूरी करना नहीं है। हम यहां इतिहास खंगालने के लिए नहीं हैं। इतिहास को कायम रहने दें। रिट याचिका वापस ले ली गई है इसलिए उसे खारिज किया जाता है। याचिकाकर्ता चाहे तो एएसआई के समक्ष मामला उठा सकता है। हमने इसके गुण-दोष को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है।’’

ताजमहल से जुड़ा क्या था पूरा मामला?

शीर्ष अदालत सुरजीत सिंह यादव द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र को ताजमहल के निर्माण से संबंधित कथित गलत ऐतिहासिक तथ्यों को इतिहास की किताबों व पाठ्यपुस्तकों से हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिका में एएसआई को ताजमहल कितने साल पुराना है यह पता लगाने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि उनके शोध से पता चलता है कि उस जगह पर पहले से ही एक शानदार हवेली मौजूद थी जहां मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी मुमताज महल के शव को दफनाया गया।

याचिका में कहा गया "यह बेहद अजीब है कि शाहजहाँ के सभी दरबारी इतिहासकारों ने इस शानदार मकबरे के वास्तुकार के नाम का उल्लेख क्यों नहीं किया । यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि राजा मान सिंह की हवेली को ध्वस्त नहीं किया गया था, बल्कि ताजमहल के वर्तमान स्वरूप को बनाने के लिए हवेली को केवल संशोधित और पुनर्निर्मित किया गया था। । यही कारण है कि शाहजहाँ के दरबारी इतिहासकारों के खातों में किसी भी वास्तुकार का उल्लेख नहीं है।’’ ताज महल 17वीं शताब्दी का स्मारक है, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। 

टॅग्स :ताज महलसुप्रीम कोर्ट
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