नई दिल्ली: प्रमुख विपक्षी नेताओं ने सोमवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा आयोजित सामाजिक न्याय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया। सम्मेलन का विषय था "सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाना और सामाजिक न्याय आंदोलन के लिए संयुक्त राष्ट्रीय कार्यक्रम"। गौरतलब है कि ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस स्टालिन के दिमाग की उपज है। सम्मेलन हाइब्रिड मोड में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम को सीएम स्टालिन सहित कुछ नेताओं ने वर्चुअली संबोधित किया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए हुए तमिलनाडु के सीएम ने कहा, सामाजिक न्याय की प्राप्ति के लिए संघर्ष किसी एक राज्य का मुद्दा नहीं है। यह कुछ राज्यों का मुद्दा नहीं है। यह सभी राज्यों से संबंधित मुद्दा है और यह भारतीय समाज की संरचना से जुड़ा हुआ है। स्टालिन ने आगे कहा, प्रत्येक राज्य में वर्ग और जाति के आधार पर समस्याओं की डिग्री में अंतर हो सकता है। लेकिन मुद्दे का मूल एक ही है - घोर भेदभाव। जहां कहीं भी भेदभाव, बहिष्कार, अस्पृश्यता और दासता है, अन्याय, जो दवा इन जहरों को ठीक कर सकती है वह सामाजिक न्याय है।
सम्मेलन को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों की एकता के प्रदर्शन के रूप में देखा जा सकता है। सम्मेलन में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उनके झारखंड के समकक्ष हेमंत सोरेन और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भाग लिया। बैठक में भाग लेने वाले अन्य नेताओं में डेरेक ओ'ब्रायन (तृणमूल कांग्रेस), संजय सिंह (आम आदमी पार्टी), माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला शामिल थे।
विपक्ष को एकजुट करने के लिए डीएमके का यह दूसरा प्रयास था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, यादव और अब्दुल्ला उन लोगों में शामिल थे जो हाल ही में द्रमुक प्रमुख के 70वें जन्मदिन समारोह में शामिल हुए थे।