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मोदी मंत्रिमंडल में हुआ बदलाव, नरेंद्र तोमर और सदानंद गौड़ा को दिया गया अतिरिक्त प्रभार

By रामदीप मिश्रा | Published: November 13, 2018 8:05 PM

मोदी सरकार ने अपने मंत्रीमंडल में फेरबदल किया है। सदानंद गौड़ा को रसायन और उर्वरक मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, जबकि नरेंद्र सिंह तोमर को संसदीय मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। 

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और केन्द्रीय मंत्री रहे अनंत कुमार का सोमवार (12 नवंबर) को निधन हो गया था, जिसके बाद रसायन और उर्वरक मंत्री और संसदीय मामलों के मंत्री का पद खाली हो गया था। इसको देखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार शाम को इन दोनों मंत्रालयों की अतिरिक्त जिम्मेदारी सदानंद गौड़ा और नरेंद्र सिंह तोमर को सौंपी है।

सदानंद गौड़ा को रसायन और उर्वरक मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है, जबकि नरेंद्र सिंह तोमर को संसदीय मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। आपको बता दें, फेफड़े के कैंसर से पीड़ित 59 वर्षीय संसदीय मामलों के मंत्री का सोमवार सुबह निधन हो गया। कुमार दक्षिण बेंगलुरू से छह बार सांसद रहे हैं। यह संसदीय क्षेत्र अंतिम समय तक उनका गढ़ बना रहा।

उनका जन्म बेंगलुरू में 22 जुलाई 1959 को मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता नारायण शास्त्री एक रेलवे कर्मचारी थे और माता गिरिजा एन शास्त्री थीं। उनकी आरंभिक शिक्षा उनकी माता के मार्गदर्शन में हुई जो खुद स्नातक थीं। कला एवं कानून में स्नातक कुमार की सार्वजनिक जीवन में यात्रा संघ परिवार के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ने के साथ शुरू हुई। वह प्रदेश सचिव और राष्ट्रीय सचिव सहित कई पद पर रहे।

मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने की चाहत में कुमार 1987 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। उन्होंने प्रदेश सचिव, युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, महासचिव और राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी संभाली।

राज्य भाजपा प्रमुख येदीयुरप्पा के साथ कुमार भी पार्टी के उन चंद नेताओं में शामिल थे जिन्हें कर्नाटक में भाजपा के विकास का श्रेय दिया जा सकता है। उन्होंने पार्टी को उभारने का काम किया और दक्षिण में पहली बार भगवा पार्टी की सरकार के गठन का रास्ता तैयार किया।

कुमार को दिल्ली में कर्नाटक भाजपा का चेहरा और राज्य सरकार का प्रतिनिधि समझा जाता था, जिन पर पार्टी कर्नाटक से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिये निर्भर रहती थी।

कुमार 1996 में बेंगलुरू दक्षिण सीट से लोकसभा के लिये चुने गये। धीरे-धीरे उनका राजनीतिक कद बढ़ता गया। 1998 में वह वाजपेयी मंत्रिमंडल में शामिल हुए, उस वक्त वह महज 38 साल के थे और टीम में सबसे ‘‘युवा’’ मंत्री भी।(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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