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MP चुनावः जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी थी वे रहे असफल, अब RSS करेगा टिकट दावेदारों की नाराजगी दूर

By राजेंद्र पाराशर | Updated: November 5, 2018 07:25 IST

मध्यप्रदेश भाजपा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के वक्त नाराज कार्यकर्ताओं और दावेदारों की नाराजगी को दूर करने के लिए कभी कुशाभाऊ ठाकरे जिम्मेदारी संभाला करते थे, उसके बाद सुंदरलाल पटवा और कैलाश जोशी इस काम को अंजाम दिया करते थे।

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भारतीय जनता पार्टी टिकट वितरण के बाद प्रदेश में नाराज टिकट के दावेदारों और उनके समर्थकों की नाराजगी को दूर करने वालों का टोटा पड़ गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता जिनके भरोसे रुठों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती रही वे खुद नाराज चल रहे हैं। वहीं जिन्हें टिकट वितरण के पूर्व माहौल को शांत करने की जिम्मेदारी दी गई थी, वे अब तक नाराज लोगों को शांत नहीं कर पा रहे हैं। इसके चलते संगठन की चिंता बढ़ गई है। मामले को भांपते हुए अब संघ नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की रणनीति कर रहा है। 

पार्टी के सामने खड़ा है ये संकट

मध्यप्रदेश भाजपा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के वक्त नाराज कार्यकर्ताओं और दावेदारों की नाराजगी को दूर करने के लिए कभी कुशाभाऊ ठाकरे जिम्मेदारी संभाला करते थे, उसके बाद सुंदरलाल पटवा और कैलाश जोशी इस काम को अंजाम दिया करते थे। ठाकरे और पटवा के निधन के बाद पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी जाने लगी, मगर वर्तमान में टिकट वितरण के बाद पार्टी के अधिकांश वरिष्ठ नेता या तो खुद दावेदार थे और टिकट से वंचित होने के चलते नाराज है या फिर अपने समर्थकों को टिकट न दिलाने के कारण मौन हैं। इस वजह से संगठन के सामने संकट बना हुआ है कि नाराज दावेदारों और कार्यकर्ताओं को कौन मनाएगा।

कैलाश जोशी चल रहे नाराज

संगठन को यह भरोसा था कि इस बार कैलाश जोशी को कमान सौंपकर संगठन इस जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएगा, मगर जोशी खुद नाराज हैं। जोशी ने हाल ही में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर बयान दिया था कि इस एक्ट के विरोध के चलते पार्टी पर इस बार चुनाव में असर पड़ेगा। साथ ही उन्होंने टिकट को लेकर नाराज लोगों को लेकर कहा कि यह पार्टी जाने, पार्टी तय करती है, मेरे कहने से कुछ थोड़ी होगा। जोशी के इस बयान में उनकी नाराजगी साफ दिखाई दे रही है। 

ये नेती भी चल रहे नाराज

जोशी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से निवाड़ी को नया जिला बनाए जाने के बाद से नाराज चल रहे हैं, जोशी को शिवराज सिंह ने वचन दिया था कि प्रदेश में जब भी नया जिला बनाया जाएगा, बागली को जिला बनाने की घोषणा पहले होगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। जोशी के अलावा वरिष्ठ नेता हिम्मत कोठारी, बाबूलाल गौर, सरताज सिंह और रघुनंदन शर्मा का नंबर आता है, मगर ये नेता भी इन दिनों नाराज चल रहे हैं। रघुनंद शर्मा की नाराजगी जरुर कुछ कम नजर आती है, मगर उनकी सक्रियता नाराज लोगों को मनाने में फिलहाल कम ही दिखाई दे रही है।

जिन्हें जिम्मेदारी सौंपी वे रहे असफल

टिकट वितरण के दावेदारों की दावेदारी और वर्तमान विधायकों के खिलाफ उठ रहे विरोध के स्वर को भांपते हुए भाजपा संगठन ने अलग-अलग अंचलों में भाजपा नेताओं को रुठों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी, मगर ये नेता खुद टिकट के लिए उलझे रहे और समय रहते नाराज लोगों की नाराजगी को दूर नहीं कर पाए, इसके चलते हालात आज ऐसे निर्मित हो गए हैं कि भाजपा के लिए रुठों को मनाने में परेशानी हो रही है। पूर्व में संगठन ने बुंदेलखंड में मंत्री भूपेन्द्र सिंह, महाकौशल में प्रहलाद पटेल, मालवा में कैलाश विजयवर्गीय और मध्य क्षेत्र में नरोत्तम मिश्रा को जिम्मेदारी सौंपकर रुठों को मनाने को कहा था, मगर ये सभी नेता प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में उलझे रहे  और नाराज लोगों को नहीं मना पाए।

अब तोमर पर भरोसा

भाजपा को एक बार फिर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर पर भरोसा है कि वे रुठों को मना लेंगे, मगर फिलहाल उन्हें यह जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। इस बीच संघ ने सक्रियता दिखानी शुरु कर दी है। संघ ने मंडल और बूथ स्तर पर नाराज चल रहे कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देख मैदान में उतरने का मन बनाया है। बताया जाता है कि संघ प्रचारक अब नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने जाएंगे। अलग-अलग अंचल में पहुंचने वाले संघ प्रचारक टोलियों में सौ-डेढ़ सौ कार्यकर्ताओं की बैठकें लेंगे और उनकी बातों को सुनेंगे। इसके बाद उन्हें भाजपा के पक्ष में चुनाव के लिए प्रेरित करेंगे। संघ का यह कदम कितना सफल होता है, यह तो कहा नहीं जा सकता।

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