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Lok Sabha Elections: अयोध्या से सच्चिदानंद पांडेय और उन्नाव सीट से अशोक पांडेय को टिकट, पीलीभीत, अमरोहा, मुरादाबाद, सहारनपुर, कन्नौज से मुस्लिम प्रत्याशी उतारा, देखें लिस्ट

By राजेंद्र कुमार | Published: March 14, 2024 5:53 PM

Lok Sabha Elections 2024: बसपा द्वारा अब तक आठ सीटों पर चुनाव लड़ने वाले घोषित किए गए सात प्रत्याशियों में से पांच मुस्लिम, दो ब्राह्मण एक ओबीसी हैं.

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ठळक मुद्देलोकसभा चुनाव में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारेंगी.मायावती ने उन्नाव सीट से अशोक पांडेय को चुनाव मैदान में उतारा हैं.अशोक पांडेय के पुत्र आईएएस अधिकारी हैं.

Lok Sabha Elections 2024: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने भी उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने वाले पार्टी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान करना शुरू कर दिया है. जिसके चलते गुरुवार को पार्टी ने अयोध्या और उन्नाव सीट से चुनाव लड़ने वाले पार्टी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया. पार्टी ने अयोध्या (फैजाबाद) सीट से सच्चिदानंद पांडेय और उन्नाव सीट से अशोक पांडेय को चुनाव मैदान में उतारे जाने की घोषणा की है. इसके पहले पार्टी ने छह सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नामों का खुलासा किया था.

बसपा द्वारा अब तक आठ सीटों पर चुनाव लड़ने वाले घोषित किए गए सात प्रत्याशियों में से पांच मुस्लिम, दो ब्राह्मण एक ओबीसी हैं. बसपा के घोषित किए गए इन प्रत्याशियों को लेकर यह कहा जा रहा है कि बसपा सुप्रीम मायावती बीते विधानसभा चुनावों की तरह लोकसभा चुनाव में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारेंगी.

इन ब्राह्मण चेहरों को मिला टिकट

फिलहाल अयोध्या (फैजाबाद) सीट पर मायावती ने सच्चिदानंद पांडेय उर्फ सचिन को चुनाव मैदान में उतारा है. कुछ समय पहले तक सच्चिदानंद पांडेय अंबेडकरनगर जिले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिलाध्यक्ष थे. भाजपा में उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ता दिखा तो उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया.

उनका बसपा में आना सफल रहा, मायावती ने उन्हें अयोध्या सीट से पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया. यह ऐलान भी उसी दिन हुआ जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या के विकास से संबन्धित करोड़ों रुपए की योजनाओं का शुंभरंभ करने वहाँ पहुंचे थे. इसके अलावा मायावती ने उन्नाव सीट से अशोक पांडेय को चुनाव मैदान में उतारा हैं.

अशोक पांडेय एक बड़े अखबार में संपादक रहे हैं. वह भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने के लिए प्रयास कर रहे थे, लेकिन भाजपा ने उन्हे चुनाव लड़ाने में रुचि नहीं दिखाई. अशोक पांडेय के पुत्र आईएएस अधिकारी हैं. कहा जा रहा है कि उनके प्रयास से मायावती ने उन्हे उन्नाव सीट से पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया है.

पांच मुस्लिम, एक ओबीसी प्रत्याशी टिकट पाए

इसी तरह से मायावती ने पार्टी के पुराने वफादार नेता अनीस अहमद खां को पीलीभीत से प्रत्याशी घोषित किया है. अनीस अहमद बसपा सरकार में मंत्री और तीन बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. लेकिन दोनों ही बार वह चुनाव हार गए थे. अमरोहा सीट से मायावती ने डॉ. मुजाहिद हुसैन उर्फ बाबू भाई को चुनाव लड़ाने का फैसला किया है.

मुजाहिद हुसैन डॉक्टर हैं. दो साल पहले ही वह बसपा में शामिल हुए थे. अमरोहा सीट से बीते लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर दानिश अली सांसद बने थे. जिन्हे मायावती ने पार्टी से निकाल दिया है और दानिश अली इंडिया गठबंधन से अमरोहा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. पश्चिम यूपी की मुरादाबाद सीट से मायावती ने इरफान सैफी को चुनाव लड़ाने जा रही हैं.

इरफान राइस मिल के मालिक हैं और उनकी पत्नी ठाकुरद्वारा से नगर पालिका अध्यक्ष हैं. इसी प्रकार मायावती ने कन्नौज सीट से अकील अहमद पट्टा को चुनाव लड़ाने का फैसला किया है. अकील सपा से बसपा में आए हैं. पश्चिम यूपी की सबसे प्रतिष्ठित सीट सहारनपुर से माजिद अली को बसपा चुनाव लड़ाएगी. इस सीट पर सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता हैं.

यहां कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों से बसपा के माजिद  का कडा मुक़ाबला होगा. मुजफ्फरनगर सीट से बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले दारा सिंह प्रजापति का ताल्लुक मेरठ है. दारा सिंह ने सपा से बसपा में आए हैं. वर्ष 2014 से वह बसपा में हैं. उन्होने 2009 में मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, तब उन्हे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 50 हजार से अधिक वोट मिले थे. 

मायावती की राजनीति

आठ में से पांच सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर मायावती ने अपनी रणनीति का संकेत दिया है. कहा जा रहा है कि मायावती इस बार ज्यादा से ज्यादा सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतरेगी. ताकि बसपा के दलित और मुस्लिम गठजोड़ को कोई नुकसान ना हो.

बसपा की इस रणनीति से सपा और कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशियों को नुकसान हो सकता. पिछले विधानसभा चुनाव और नगर निकाय चुनाव में भी बसपा को अपनी इस रणनीति से भले ही बहुत फायदा ना हुआ हो लेकिन इसका नुकसान सपा को हुआ.

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