बिहार के गोपालगंज लोकसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के टिकट पर 29 साल के कुणाल किशोर विवेक चुनाव लड़ रहे हैं। विवेक बीएसपी के सबसे कम उम्र के उम्मीदवार हैं। गोपालगंज सुरक्षित सीट है। गोपालगंज में 12 मई को मतदान है। विवेक अपना नामांकन 20 अप्रैल को भरेंगे।
बता दें कि बिहार में बहुजन समाज पार्टी लोकसभा की सभी 40 सीटों के लिए अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ रही है। 18 अप्रैल को गोपालगंज में बसपा प्रमुख मायावती पार्टी प्रत्याशी कुणाल किशोर विवेक के लिए चुनावी सभा करेंगी।
बीएचयू से कर रहे हैं पीएचडी
विवेक ने अपनी शुरुआती शिक्षा सारण के नवोदय स्कूल से पूरी की है। इसके बाद उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में भूगोल विषय में ऑनर्स किया। जेआरएफ निकालने वाले विवेक अभी बीएचयू से ही पीएचडी कर रहे हैं। इसके अलावा आर्ट्स फैकल्टी से होने के बाद भी उन्होंने CSIR क्वालीफाई किया हुआ है।
दो साल में मिली बड़ी जिम्मेदारी
लोकमत से विशेष बातचीत में कुणाल बताते हैं कि वह शुरू से बाबा साहेब आंबेडकर विचारधारा से प्रभावित रहे हैं। 2017 में उन्हें बीएसपी द्वारा बिहार में चार-पांच जिलों में बहुजन वॉलेंटियर्स फोर्स (वीवीएस) की जिम्मेदारी मिली। इसके बाद उन्हें दक्षिण बिहार फिर पूरे बिहार की जिम्मेदारी मिली। पिछले महीने 15 मार्च को मान्यवर कांशीराम की जयंती पर उन्हें बसपा प्रत्याशी घोषणा हुई थी।
पार्टी लड़ा रही है चुनाव
कुणाल के पिता सरकारी शिक्षक रहे हैं। परिवार में मां-पिता के अलावा चार भाई और एक बहन है। विवेक कहते हैं, संपत्ति के नाम पर उनके पास कुछ नहीं सिर्फ शिक्षा है। पार्टी द्वारा ही बहनजी की रैली आयोजित की जा रही है और चुनाव का खर्च बामसेफ जैसे संगठनों से मिल रहा है।
बीएचयू में पढ़ाई के दौरान लिया राजनीति में जाने का निर्णय
दो जुलाई को 30 साल के होने जा रहे है विवेक कहते हैं, 2008 में बीएचयू में दलित छात्र किस्मत लाल की मौत के बाद उनके सोचने का नजरिया बदल गया। उन्हें लगा कि हर क्षेत्र में दलितों पर हो उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए राजनीति का रास्ता अपनाना ही होगा।
बीजेपी ने दिया था एमएलसी बनाने का ऑफर
वाराणसी में पढ़ाई के दौरान राजनीति में भी सक्रिय रहे विवेक कहते हैं, 2016 में बनारस में पीएम मोदी और केंद्रीय स्मृति ईरानी का एक कार्यक्रम था। रोहित वेमुला की मौत के बाद उपजे आंदोलन के बीच उन्होंने बनारस में पीएम का विरोध किया था। इसके बाद ही एक केंद्रीय मंत्री ने उन्हें बीजेपी ज्वाइन करने का ऑफर दिया था।
विवेक का दावा है कि बीजेपी 2018 तक उन्हें एमएलसी बनाने का वादा कर रही थी। बीजेपी नहीं ज्वाइन करने का कारण पूछने पर वह कहते हैं कि वह बाबा साहेब और बसपा के विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
गोपालगंज में 'बाहरी' उम्मीदवार
गोपालगंज लोकसभा सीट को 2009 में एससी के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। कुणाल पिछले 20 सालों से बाहर रहकर ही पढ़ाई कर रहे थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे एक बाहरी उम्मीदवार हैं। हालांकि विवेक ऐसा नहीं मानते हैं। विवेक कहते हैं कि वह 20 साल से घर पर नहीं रहे हैं लेकिन समाज के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे हैं। गोपालगंज तो पहले भी छपरा का ही अंग रहा है। अभी भी सारण प्रमंडल का ही हिस्सा है। ये बस एक मुद्दा भर बनाने की कोशिश की जा रही है।
बीएसपी के सबसे कम उम्र के उम्मीदवार
विवेक बहुजन समाज पार्टी के सबसे कम उम्र के उम्मीदवार हैं। हालांकि बिहार में सबसे कम उम्र के उम्मीदवार रालोसपा के आकाश कुमार सिंह हैं। आकाश राज्यसभा सांसद और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह के बेटे हैं।
गोपालगंज में नए चेहरे
एनडीए ने गोपालगंज में पिछली बार रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले जनक राम का टिकट काटकर आलोक कुमार सुमन को टिकट दिया है। जनक राम पिछली बार बीजेपी के टिकट पर 2.73 लाख वोटों से जीते थे। इस बार यह सीट जेडीयू के खाते में गई है। वहीं महागठबंधन में यह सीट आरजेडी के खाते में गई है। आरजेडी से सुरेंद्र महान को टिकट दिया है। विवेक के साथ ही सुमन और महान भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।