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जन सुराज यात्राः छह मुख्यमंत्री उठा रहे हैं खर्च, प्रशांत किशोर ने कहा- क्राउड फंडिंग का बड़ा प्लेटफार्म तैयार करेंगे, बिहार की राजनीति में बदलाव लाएंगे

By एस पी सिन्हा | Published: October 27, 2022 4:40 PM

Jan Suraj Yatra: राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने बुधवार को संकेत दिया कि उन्हें बिहार में ‘जन सुराज अभियान’ के लिए अपने पूर्व ग्राहकों से वित्तीय सहायता मिल रही है जिनमें से कई अब अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्री हैं।

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ठळक मुद्देराजद, जदयू और भाजपा पर निशाना साधा।देश के छह मुख्यमंत्री अभी फंडिंग कर रहे हैं।बिहार के 2 करोड़ लोग भी 100-100 रुपए देंगे तो 200 करोड़ रुपए हो जाएगा।

पटनाः चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपने जन सुराज यात्रा पर खर्च हो रहे पैसे को लेकर उठाये जा रहे सवाल का जबाब दिया है। उन्होंने कहा है कि जन सुराज अभियान का खर्च देश के छह मुख्यमंत्री उठा रहे हैं। पीके ने कहा कि इस अभियान को राजनीतिक रूप देना है, उसके लिए क्राउड फंडिंग का एक बड़ा प्लेटफार्म तैयार करेंगे।

उन्होंने कहा कि वो पारदर्शी तरीके से लोगों से पैसे लेंगे और उसके उन पैसों से पार्टी स्थापित करके बिहार की राजनीति में बदलाव लाएंगे। पीके ने राजद, जदयू और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि पिछले 10 सालों में जिन नेताओं और दलों के लिए काम किया है, उनसे एक रुपए भी नहीं लिए। उनमें से छह मुख्यमंत्री अभी फंडिंग कर रहे हैं।

बिहार की जनसंख्या 13 करोड़

वे लोग ही जन सुराज अभियान के लिए शुरुआती मदद कर रहे हैं। आगे कुछ दिनों में क्राउड फंडिंग का एक बड़ा प्लेटफॉर्म तैयार कर रहे हैं। बिहार के लोग अपनी ओर से छोटा योगदान देकर भी इस पूरे प्रक्रिया में अपना योगदान दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ हैं।

अगर बिहार के 2 करोड़ लोग भी 100-100 रुपए देंगे तो 200 करोड़ रुपए हो जाएगा और जनता के पैसों से ही जन सुराज का अभियान आगे चलेगा। पीके ने कहा कि जिस तरह से वह जन सुराज अभियान चला रहे हैं, उसे चलाने के लिए पैसे भी लगेंगे। उन्होंने ने कहा कि हमने देश में 11 चुनाव लड़वाए हैं, जिनमें से 10 जीते भी हैं।

इसमें से ही 6 राज्यों के मुख्यमंत्री अभियान में मदद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कि मैं इस जन सुराज अभियान में बहुत ज्यादा पैसे खर्च नहीं कर रहा हूं। राजद, जदयू और भाजपा की तरह लोगों को भीड़ जुटाने के लिए, हेलिकॉप्टर से उड़ने के लिए, बड़ी गाड़ियों से चलने के लिए और बड़ी सभा करने में पैसे खर्च होते है, जो मैं नही कर रहा हूं।

भारत-नेपाल सीमा पर स्थित वन अभयारण्य वाल्मीकिनगर में खुलासा किया

मैं पैदल चलता हूं, सड़क किनारे छोटी सभाएं करता हूं और लोगों कभी गाड़ी भर-भर के नहीं बुलाता हूं। पीके ने बताया कि मैं राजद, जदयू और भाजपा की तरह भ्रष्टाचार करके पार्टी के लिए पैसे की व्यवस्था नहीं करूंगा। किशोर ने लगभग 300 किलोमीटर दूर भारत-नेपाल सीमा पर स्थित वन अभयारण्य वाल्मीकिनगर में खुलासा किया।

वह दो अक्टूबर से 3500 किलोमीटर की एक पदयात्रा पर हैं । उनका अभियान पूर्ण राजनीतिक दल का स्वरूप ले, उससे पूर्व वह अपने गृह राज्य के हर कोने में पहुंचकर लोगों की राय लेना चाहते हैं। किशोर से उनके अभियान के वित्तपोषण के बारे में सवाल किया गया था जो काफी अटकलों का विषय बन गया था।

जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आशंका व्यक्त की थी...

जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आशंका व्यक्त की थी कि शायद आईपैक संस्थापक को भाजपा से वित्तपोषण मिल रहा है। नीतीश कुमार के अचानक राजग छोड़कर महागठबंधन के साथ चले जाने के कारण भाजपा बिहार में सत्ता से बाहर आ गयी। जदूय ने किशोर की सेवाएं ली थी।

किशोर ने कहा, ‘‘पिछले एक दशक में मैंने कम से कम 10 चुनावों में अपनी सेवाएं दी और एक को छोड़कर सभी में सफल रहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कम से कम छह लोगों को जीताने में मदद की और वे मुख्यमंत्री हैं। मैंने उनसे पैसे नहीं लिए, हालांकि मीडिया को मुझ पर विश्वास नहीं होगा। लेकिन अब मैं बिहार में जो प्रयोग कर रहा हूं, उसके लिए मैं उनकी मदद मांग रहा हूं।’’

नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव अभियान का प्रबंधन किया था

किशोर को पहली बार 2014 में उस समय प्रसिद्धि मिली थी जब उन्होंने नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव अभियान का प्रबंधन किया था। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को भारी जीत दिलाने में मदद करने के बाद आईपैक के संस्थापक ने पिछले साल पेशेवर राजनीतिक परामर्श से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की थी।

किशोर के पूर्व ग्राहकों में अमरिंदर सिंह के अलावा अरविंद केजरीवाल, एम के स्टालिन और जगन मोहन रेड्डी हैं। केजरीवाल दिल्ली के, स्टालिन तमिलनाडु के और रेड्डी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं । सिंह को पंजाब में जीत दिलाने में किशोर ने मदद पहुंचायी थी। किशोर ने कहा, ‘‘मैंने बिहार में किसी से एक भी रुपया नहीं लिया है।’’ जदयू और राजद (प्रसाद की पार्टी) अपने दम पर कभी भी बिहार नहीं जीत पाए हैं।

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