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प्रभावशाली नागा समूहों ने राज्यपाल आरएन रवि की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की, कहा- रवि से संभव नहीं है वार्ता

By भाषा | Updated: August 9, 2020 17:28 IST

नागा समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष साफ किया है कि आरएनरवि के साथ और वार्ता करने की संभावना नहीं है।

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ठळक मुद्देनागा विद्रोही समूह ने आरएनरवि के काम करने के तरीके को लेकर अपनी "नाखुशी" पीएम नरेंद्र मोदी के समक्ष प्रकट की है।एनएससीएन-आईएम का नेतृत्व केंद्र सरकार के संभवतः नए वार्ताकार के साथ अब दिल्ली में नए दौर की बातचीत करेगा।सूत्रों ने बताया कि एनएससीएन-आईएम ने केंद्र सरकार को इस बात से अवगत करा दिया है कि वह अब रवि के साथ कोई वार्ता नहीं करेंगे

नयी दिल्ली: नगालैंड के दो प्रभावशाली नागरिक समाज समूहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य के राज्यपाल आरएन रवि की शिकायत की है। समूहों ने आरोप लगाया है कि रवि " निरंकुश " तरीके से काम कर रहे हैं और विद्रोही संगठन एनएससीएन-आईएम के साथ 23 साल की बातचीत में जो हासिल हुआ है उसका सम्मान नहीं कर रहे हैं।

नागा होहो और नगा मदर्स एसोसिएशन (एनएमए) ने यह भी आरोप लगाया कि वार्ता के लिए केंद्र के वार्ताकार रवि उन्हीं नगा समूहों को "परेशान" कर रहे हैं, जिनके साथ उन्हें बातचीत करनी है और शांति वार्ता को पूरा करना है। इन समूहों ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि रवि के पास महिला शांति निर्माताओं की बात सुनने के लिए वक्त नहीं है या वह नहीं सुनना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री को दिए ज्ञापन में नगा होहो ने कहा कि नगा यह महसूस कर रहे हैं कि राज्यपाल " अब तक जो हासिल हुआ है, उसका सम्मान न करते हुए निरंकुश तरीके से काम कर रहे हैं। " ज्ञापन में कहा गया है, " राज्यपाल के तौर पर आरएन रवि की नियुक्ति से उम्मीद जगी थी कि शांति प्रक्रिया में तेजी आएगी। मगर, वह लोगों के मुश्किल से अर्जित किए गए विश्वास को तोड़ रहे हैं और नगा इतिहास को बदनाम कर 23 साल की वार्ता को अर्थहीन कर रहे हैं।

साथ में, वह उन राजनीतिक समूहों को भी बदनाम कर रहे जिनके साथ भारत सरकार वार्ता कर रही है। " नगा होहो, अलग अलग नगा आदिवासी समूहों की शीर्ष संस्था है। उसने कहा कि ऐसा लगता है कि "बिना हमदर्दी वाले वार्ताकार और हमारे लोगों, इतिहास तथा आकांक्षाओं को समझे बिना शांतिपूर्ण समाधान नहीं हो सकता है।"

संगठन ने प्रधानमंत्री से कहा कि उसे उनके नेतृत्व पर लगातार विश्वास है और आग्रह किया कि वह मामले को प्राथमिकता के आधार पर देखें। उसने कहा, " आपकी निजी तथा राजनीतिक प्रतिबद्धता को देखते हुए हमारा मानना है कि समाधान बहुत दूर नहीं है।"

एनएमए ने प्रधानमंत्री को अपने ज्ञापन में कहा कि रवि विभिन्न नगा समूहों को कथित रूप से "धमका" रहे हैं और "परेशान" कर रहे हैं। उसने कहा, " हमने उस स्थिति का सामना किया जिसमें वार्ताकार, जो माननीय राज्यपाल भी है, उन्हीं नगा राजनीतिक समूहों को तंग करने पर आमादा हैं जिनके साथ उन्हें वार्ता करनी है और शांति बातचीत को पूरा करना है। "

एनएमए ने आरोप लगाया कि ऐसी अहम वार्ता के बीच में रवि द्वारा नगा लोगों और महिलाओं का अपमान करना, इससे जाहिर होता है कि राज्यपाल ने मुलाकात के नगा मदर्स एसोसिएशन को दो आधिकारिक आग्रहों को खारिज कर दिया।

इससे पहले, सूत्रों ने बताया था कि केंद्र के साथ शांति वार्ता कर रही एनएससीएन-आईएम की रवि के साथ और वार्ता करने की संभावना नहीं है तथा नगा विद्रोही समूह ने उनके काम करने के तरीके को लेकर अपनी "नाखुशी" केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों को बता दी है।

एनएससीएन-आईएम का नेतृत्व केंद्र सरकार के संभवतः नए वार्ताकार के साथ अब दिल्ली में नए दौर की बातचीत करेगा। सूत्रों ने बताया कि एनएससीएन-आईएम ने केंद्र सरकार को इस बात से अवगत करा दिया है कि वह अब रवि के साथ कोई वार्ता नहीं करेंगे। समूह उनके साथ 2014 से बातचीत कर रहा था।

एनएससीएन-आईएम की रवि के खिलाफ मुख्य शिकायत 2015 के सहमति की रूपरेखा का "गलत अर्थ" निकालना और नगालैंड सरकार को उनका पत्र लगती है जिसमें राज्यपाल ने कहा था कि सरकार "सशस्त्र समूहों" पर नकेल कसे, जिससे एनएससीएन-आईएम काफी नाराज हुआ है।

सहमति की रूपरेखा पर तीन अगस्त 2015 को एनएससीएन-आईएम के महासचिव थुईन्गलेंग मुइवाह और रवि ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए थे। पिछले साल अक्टूबर में रवि ने एक बयान में नगालैंड के लिए अलग संविधान और झंडे की मांग को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि विद्रोही समूह के साथ कभी न खत्म होने वाली बातचीत बंदूकों के साये में करना स्वीकार्य नहीं है। 

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