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दिल्ली चुनावः कल मतगणना, क्या केजरीवाल लगा पाएंगे हैट्रिक, भाजपा-आप और कांग्रेस में टक्कर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 10, 2020 19:20 IST

एक्जिट पोलों में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की जीत का अनुमान व्यक्त करने और चुनाव आयोग द्वारा मतदान प्रतिशत की घोषणा में देरी विधानसभा चुनाव के नतीजे को लेकर लोगों के बीच जिज्ञासा बहुत बढ़ गयी है। यह चुनाव शनिवार को हुआ था जिसे आप और भाजपा के मुकाबले के रूप में देखा गया।

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ठळक मुद्देदिल्ली में मंगलवार की मतगणना से पहले कड़ी सुरक्षा व्यवस्था।593 पुरुष उम्मीदवारों और 79 महिला प्रत्याशियों की राजनीतिक तकदीर ईवीएम में कैद हो गयी।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए आठ फरवरी को मतदान के बाद अब मंगलवार को होने जा रही मतगणना के सिलसिले में मतगणना केंद्रों की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी है।

एक्जिट पोलों में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की जीत का अनुमान व्यक्त करने और चुनाव आयोग द्वारा मतदान प्रतिशत की घोषणा में देरी विधानसभा चुनाव के नतीजे को लेकर लोगों के बीच जिज्ञासा बहुत बढ़ गयी है। यह चुनाव शनिवार को हुआ था जिसे आप और भाजपा के मुकाबले के रूप में देखा गया।

मतदान के बाद 593 पुरुष उम्मीदवारों और 79 महिला प्रत्याशियों की राजनीतिक तकदीर ईवीएम में कैद हो गयी। मतदान के करीब 24 घंटे बाद चुनाव आयोग ने रविवार को घोषणा की कि अंतिम मतदान प्रतिशत 62.59 रहा जो 2015 की तुलना में पांच फीसद कम है।

उसने कहा कि उसने आंकड़े संकलन की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया। आप ने देरी को लेकर सवाल उठाये। मतगणना केंद्र पूर्वी दिल्ली के सीडब्ल्यूजी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स, पश्चिम दिल्ली के एनएसआईटी, दक्षिणपूर्वी दिल्ली के मीराबाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी और जी बी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी, मध्य दिल्ली में सर सी वी रमण आईटीआई, धीरपुर और उत्तरी दिल्ली के बवाना में राजीव गांधी स्टेडियम एवं अन्य स्थान हैं।

अधिकारियों के अनुसार मतगणना के लिए 33 पर्यवेक्षक होंगे। सुरक्षाकर्मियों ने स्ट्रांग रूमों की कड़ी निगरानी की जहां इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनें रखी गयी हैं। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रणबीर सिंह ने मतदान से एक दिन पहले कहा था कि सभी ईवीएमों का परीक्षण किया गया और वे फूलप्रुफ और छेड़छाड़ से परे हैं।

एक्जिट पोलों में आप की आसान जीत का अनुमान लगाया गया है जो विकास के मुद्दे चुनाव में उतरी थी जबकि उसके प्रतिद्वंद्वी भाजपा ने अपना प्रचार सीएए विरोध प्रदर्शन और राष्ट्रवाद के इर्द-गिर्द समेट रखा था। बाईस साल बाद सत्ता में पहुंचने के लिए आतुर भाजपा ने दिल्ली में आक्रामक प्रचार अभियान चलाया और स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर अपनी पार्टी के प्रचार की अगुवाई की। 

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