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कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई ने कृषि कानूनों को वापसी लेने को ‘भाजपा सरकार के अहंकार की हार’ बताया

By भाषा | Updated: November 20, 2021 19:52 IST

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जम्मू, 20 नवंबर कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई ने शनिवार को कृषि कानूनों को निरस्त करने को ‘‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार के अहंकार और दंभ की हार’’ बताया, जबकि भाजपा का कहना है कि कानून वापसी का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उदार चरित्र को दर्शाता है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री योगेश साहनी ने कहा कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने का केंद्र का फैसला किसानों की जीत है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह भाजपा सरकार के अहंकार, दंभ और खोखले गर्व की हार है। यह किसानों और विपक्ष की ऐतिहासिक जीत है। हमारे किसान भाइयों के साथ कांग्रेस पार्टी की लड़ाई आखिरकार केंद्र सरकार की हार के रूप में परिणत हुई और काले कानूनों का अंत हो गया।’’

साहनी ने कहा कि कानूनों को वापस लेना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि संघर्ष में कई कीमती जानें चली गईं। उन्होंने कहा कि संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक किसानों के सभी मुद्दों को समाधान नहीं हो जाता और आंदोलनकारी संतुष्ट नहीं हो जाते।

उन्होंने यह भी दावा किया कि यह हाल के उपचुनावों में भाजपा उम्मीदवारों की हार का नतीजा है और इसे आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है।

हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा कि इस फैसले ने एक बार फिर प्रधानमंत्री के उदार चरित्र को उजागर किया है। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘केंद्र सरकार को विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लाभ के लिए इन तीन कृषि कानूनों को लाए एक साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ किसान संघ इन कल्याणकारी कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे थे, जिसका कारण वे अच्छी तरह से जानते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस तथ्य को जानते हुए कि इन कानूनों की शुरुआत के तुरंत बाद बड़ी संख्या में किसानों ने इसे अपने लिए फायदेमंद माना था और इसके लिए केंद्र सरकार की सराहना भी की थी, बावजूद इसके मोदी ने व्यापक जनहित को प्राथमिकता देते हुए इन कानूनों को रद्द करने की घोषणा की।’’

भाजपा के एक अन्य नेता अश्विनी कुमार चरूंगु ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने की तुलना अनुच्छेद 370 या नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) से करना ‘‘राजनीतिक दिवालियापन’’ है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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