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Bihar: नीतीश कुमार की एनडीए में पुनर्वापसी से क्या घटेगा उपेन्द्र कुशवाहा और चिराग का कद, लगाए जा रहे हैं कयास

By एस पी सिन्हा | Published: March 03, 2024 5:07 PM

पीएम मोदी की रैली में मंच पर भाजपा और जदयू नेताओं के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस भी मौजूद थे। पारस गुट के ही सांसद प्रिंस राज भी मंच पर मौजूद थे। लेकिन एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का कहीं अता-पता नहीं था। 

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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फिर से एनडीए के साथ आने के बाद पहले से एनडीए से जुड़े दलों के बीच क्या सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है? इसको लेकर कयासों के बाजार गर्म हो गए हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के दौरान उपेन्द्र कुशवाहा और चिराग पासवान की गैरमौजूदगी को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। पीएम मोदी की रैली में मंच पर भाजपा और जदयू नेताओं के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस भी मौजूद थे। पारस गुट के ही सांसद प्रिंस राज भी मंच पर मौजूद थे। लेकिन एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का कहीं अता-पता नहीं था। 

यही नहीं खुद को 'मोदी का हनुमान' कहने वाले चिराग पासवान भी नदारद थे। ये दोनों नेता ना सिर्फ पीएम की रैलियों से गायब रहे, बल्कि मोदी के बिहार आगमन पर भी खामोश रहे। दोनों की ओर से सोशल मीडिया पर भी प्रधानमंत्री के स्वागत को लेकर एक भी शब्द नहीं कहे गए। ऐसे में सियासी गलियारों में यह चर्चा होने लगी है कि एनडीए में सबकुछ सामान्य नहीं है। चर्चा है कि नीतीश कुमार की वापसी होने के बाद अब चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा खिसक सकते हैं। 

बता दें चिराग पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा दोनों ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कड़े आलोचक माने जाते हैं। सियासत के जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चिराग पासवान का राजनीतिक कैरियर खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। नीतीश कुमार के कारण ही चिराग पासवान को एनडीए से बाहर किया गया था। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने ही लोजपा को दो हिस्सों में बांटने का काम किया था। 

वहीं उपेन्द्र कुशवाहा ने तो नीतीश कुमार के विरोध में ही जदयू छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई थी। जानकारों के अनुसार नीतीश कुमार की पुनर्वापसी से एनडीए में चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की पूछ घट गई है। अब भाजपा के व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले दोनों सीधे पीएम मोदी और अमित शाह से डील करते थे, लेकिन अब नित्यानंद राय तक ही पहुंच देखने को मिल रही है। 

दूसरी ओर एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी का सीधा प्रभाव चिराग पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा पर पड़ना तय माना जा रहा है। माना जा रहा है कि सीटों के बंटवारे में भी दोनों को कम महत्व दिया जा सकता है। शायद यही कारण है कि चिराग पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा का बयान भी न के बराबर आ रहा है। सीट शेयरिंग का मामला भी अभी तक तय नही हो पाया है। ऐसे में कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगी हैं।

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