पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच चुनाव आयोग ने मतदाता गहन पुनरीक्षण के बाद नई ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी कर दिया है। शुक्रवार को यह प्रारूप सूची सभी जिलों में जिला निर्वाचन पदाधिकारियों द्वारा जारी कर दी गई। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी ने ईआरओ, एईआरओ और बीएलओ को यह सूची सौंप दी है। इसके साथ ही, जिलों में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उन्हें भी प्रारूप सूची प्रदान की जा रही है। राज्य स्तर पर भी राजनीतिक दलों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी।
इस सूची को जल्द ही चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। मतदाता वहां जाकर अपना नाम ऑनलाइन चेक कर सकते हैं। इसे सभी राजनीतिक दलों के केंद्रीय कार्यालयों को भी सौंप दिया गया है। आज से इसे लेकर कैंप भी लगाए जाएंगे, लेकिन इस मुद्दे पर बिहार की सियासत में पहले से ही बवाल मचा हुआ है और अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर और भी तेज हो गया है। भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने इस मामले पर महागठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग फर्जी हैं, वे बाहर होंगे और जो सही हैं, वे सूची में रहेंगे।
उन्होंने कहा कि महागठबंधन के लोग सिर्फ हंगामा कर रहे हैं और राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि चुनाव आयोग अपना काम निष्पक्षता से कर रहा है। वहीं, जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान पार्षद नीरज कुमार ने भी हंगामे को लेकर महागठबंधन को घेरा। उन्होंने कहा कि हंगामा बरपाना इन लोगों का काम है।
नीरज कुमार ने भी कहा कि फर्जी लोग बाहर होंगे और इस मामले पर माननीय न्यायालय में सुनवाई भी होनी है, जो अगस्त में होगी। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को कोई दिक्कत है, वे आज से अपनी शिकायत और आपत्ति दर्ज करा सकते हैं, इसमें कोई गलत बात नहीं है। वहीं, इस पूरे मामले पर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि दूध का दूध और पानी का पानी कब होगा, यह तो आने वाला समय बताएगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने किस तरह का फर्जीवाड़ा किया है, यह भी जल्द ही सामने आ जाएगा और सभी को सच जानने के लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए। इस तरह मतदाता सूची जारी होने के साथ ही इस पर विवाद और गहरा गया है। महागठबंधन ने पहले ही इसे लेकर रैलियां और यात्राएं निकालने की बात कही है।
दूसरी ओर, भाजपा और जदयू का कहना है कि सभी को इंतजार करना चाहिए क्योंकि सच्चाई सामने आएगी और कोर्ट भी इस मामले को देख रहा है। यह मुद्दा आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है, जिस पर कई तरह के राजनीतिक दांव-पेंच देखने को मिल सकते हैं।