पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज बिहार पुलिस अकादमी में आयोजित दारोगा (अवर निरीक्षक) दीक्षांत परेड समारोह में शामिल हुए। इस दौरान एक अजीब वाकया सामने आया, जब मुख्यमंत्री ने मंच पर मौजूद उपमुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी, संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार की ओर इशारा करते हुए कहा, “जी, आप लोग भी आइए। आप लोग आते क्यों नहीं हैं, आइए जी।” आमतौर पर किसी अधिकारी, दरोगा या पुलिसकर्मी के पासिंग आउट परेड का निरीक्षण करने राज्य के मुख्यमंत्री पहुंचते हैं, तो निरीक्षण जीप पर मुख्यमंत्री के अलावा सिर्फ डीजीपी ही मौजूद रहते हैं। यह प्रोटोकॉल वर्षों से चला आ रहा है। लेकिन इस बार इससे इतर कोई दृश्य देखने को मिला। ऐसा दृश्य, जिसने सत्ता के गलियारों से लेकर अफसरशाही तक को चौंका दिया।
राजनीतिक चर्चाओं को एक नया विषय दे दिया। दरअसल, जैसे ही निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू हुई, एक महिला दरोगा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से औपचारिक तौर पर कहा “सर, आप निरीक्षण के लिए तैयार हैं।” इसके बाद राज्य के डीजीपी विनय कुमार मुख्यमंत्री को लेकर उस जीप की ओर बढ़े, जिससे परेड का निरीक्षण होना था।
मुख्यमंत्री जीप पर चढ़े, डीजीपी भी साथ चढ़ गए यहां तक सब कुछ नियमों के दायरे में था। लेकिन इसके बाद जो हुआ, वही चर्चा का केंद्र बन गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीधे उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को आवाज दी “आप भी आ जाइए।” सम्राट चौधरी पहले हिचकते दिखे, लेकिन मुख्यमंत्री के स्पष्ट आदेश के बाद उन्हें भी जीप पर चढ़ना पड़ा।
यहीं मामला खत्म नहीं हुआ। इसके बाद नीतीश कुमार ने विजय चौधरी को बुलाना शुरू किया, फिर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार को आवाज दी। श्रवण कुमार ने हाथ जोड़कर विनम्रता से कहा “आप जाइए सरकार।” लेकिन मुख्यमंत्री ने बात नहीं मानी। बार-बार कहा-“आओ, आओ… जल्दी आओ।” अंततः श्रवण कुमार को भी निरीक्षण जीप पर चढ़ना पड़ा।
इस तरह, एक ऐसा निरीक्षण हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री, डीजीपी और तीन मंत्री एक साथ जीप पर सवार नजर आए जो न केवल प्रोटोकॉल से हटकर था। राजनीतिक गलियारों में अब यह सवाल तैर रहा है कि यह महज एक अनौपचारिक क्षण था या फिर नीतीश कुमार का वह अंदाज, जिसमें वे यह संदेश देना चाहते हैं कि सरकार और सिस्टम एक साथ खड़े हैं।
जो भी हो, राजगीर में आज नीतीश कुमार का यह रूप नियमों से ऊपर, आदेशात्मक और आत्मविश्वास से भरा एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि इस अवसर पर जहां एक ओर अनुशासन, गरिमा और प्रशिक्षण की उत्कृष्टता देखने को मिली, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री का सादगी भरा और आत्मीय व्यवहार भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा।
इस पूरे घटनाक्रम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व शैली को एक बार फिर सामने रखा। वे अक्सर औपचारिकताओं से इतर मानवीय और सहज व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। कार्यक्रम के दौरान उनका यह अंदाज़ न केवल मंत्रियों बल्कि प्रशिक्षु दरोगाओं और उपस्थित लोगों के लिए भी प्रेरणादायक रहा।
इससे यह संदेश भी गया कि मुख्यमंत्री अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं और अवसर आने पर उन्हें बराबरी का सम्मान देने से नहीं हिचकते। वहीं, दीक्षांत परेड समारोह में मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षु दरोगाओं को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस बल लोकतंत्र की रीढ़ है और समाज में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उसी पर होती है।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान जो अनुशासन, ईमानदारी और सेवा भावना सिखाई गई है, उसे अपने पूरे कार्यकाल में बनाए रखें। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि नए दरोगा बिहार पुलिस की छवि को और मजबूत करेंगे। कार्यक्रम में बिहार पुलिस अकादमी के वरिष्ठ अधिकारी, प्रशासनिक पदाधिकारी और बड़ी संख्या में प्रशिक्षु दरोगा उपस्थित थे।