वेंकटेश केसरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दमदार छवि और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति ने चुनाव जीतने के लिए भाजपा की आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों पर निर्भरता कम कर दी है. इससे पहले भाजपा चुनाव जीतने के लिए आरएसएस के समर्थन और इसके स्वयंसेवकों की समर्पित टीम पर पूरी तरह भरोसा करती थी, लेकिन नरेंद्र मोदी के उदय ने भाजपा को पहले गुजरात और अब देशभर में आत्मनिर्भर बना दिया. यही कारण है कि भाजपा ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात बंद कर दी है.
आरएसएस लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर के लिए आक्रामक आंदोलन शुरू करना चाहता था. वहीं, शिवसेना ने पहले मंदिर, फिर सरकार का नारा गढ़ा. उन्होंने अब अपनी रणनीति बदल ली है क्योंकि दोनों ने महसूस किया है कि भाजपा इस मुद्दे के बिना भी चुनाव जीत रही है. जहां तक महाराष्ट्र का सवाल है, भाजपा वहां अपने सहयोगियों के साथ 220 से 240 सीटें जीतने के प्रति आशान्वित है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की बड़ी जीत का कारण देवेंद्र फडणवीस सरकार का प्रदर्शन या कांग्रेस-राकांपा की कमजोर स्थिति नहीं होकर मोदी का जादू, तीन तलाक, अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करना होगा. यह भगवा पार्टी का प्रिय मुद्दा विदर्भ राज्य बनाने की बात भी नहीं कर रही है, जिसने पश्चिमी महाराष्ट्र में नेतृत्व के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया था.
कांग्रेस और राकांपा अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में आर्थिक मंदी के साथ किसानों की आत्महत्या, रोजगारहीन विकास, ग्रामीण संकट, कानून व्यवस्था की स्थिति जैसे मुद्दों पर दांव लगाना चाहती है. हालांकि अभी तक जमीनी स्तर पर काम करना बाकी है. इससे पहले संघ परिवार हिंदुत्व का प्रयोगशाला समझे जाने वाले गुजरात में काफी सक्रिय और हठी होता था, लेकिन मोदी ने वहां के मुख्यमंत्री की सत्ता संभालने के बाद प्रशासन में उसके हस्तक्षेप को बंद कर दिया.
हरियाणा में बढ़त बनाई :
हरियाणा में शासन और कानून व्यवस्था की स्थिति अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दे होंगे, लेकिन भाजपा ने खुद को गैर जाट पार्टी के रूप में दिखाकर और बिखरे विपक्ष के कारण बढ़त बना ली है.