नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के साथ मणिपुर, गोवा, पंजाब और उत्तराखंड में मतों की गिनती शुरू चुकी है। इस बीच मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ का कोई सवाल ही नहीं है। 2004 से लगातार ईवीएम का इस्तेमाल हो रहा है, 2019 में हमने हर पोलिंग बूथ पर वीवीपैट का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। राजनीतिक दल के एजेंटों की मौजूदगी में ईवीएम सील की गई।
उन्होंने आगे कहा कि मतगणना एक पारदर्शी प्रक्रिया है। एक मानक संचालन प्रक्रिया है जिसके तहत हम मतगणना करते हैं। राजनीतिक दलों के अधिकृत मतदान एजेंटों को मतगणना केंद्र के अंदर आने की अनुमति है। अपनी बात को जारी रखते हुए चंद्रा ने कहा कि जब कुछ दलों ने सवाल उठाए तो हमने उन्हें उस ईवीएम पर प्रदर्शित नंबर दिखाया। मतगणना के लिए स्ट्रांग रूम में सील कर रखी गई ईवीएम से यह मेल नहीं खाता। इसके बाद वे संतुष्ट हुए। स्ट्रांग रूम से कोई भी ईवीएम जिस पर वोट डाला जाता है उसे नहीं निकाला जा सकता है।
चंद्रा ने आगे बताया कि वाराणसी में एक ईवीएम पर उठाए गए सवाल प्रशिक्षण के उद्देश्य से थे। एडीएम की गलती यह थी कि उन्होंने राजनीतिक दलों को मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए ईवीएम की आवाजाही के बारे में सूचित नहीं किया। ओमीक्रॉन लहर के कारण चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध के दौरान चुनाव आयोग ने एमसीसी के उल्लंघन को गंभीरता से लिया। सभी पांच राज्यों में कोविड मानदंडों के उल्लंघन के साथ-साथ एमसीसी उल्लंघन के लिए लगभग 2,270 प्राथमिकी दर्ज की गईं। चुनाव आयोग के लिए हर राजनीतिक दल समान है।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने आगे कहा कि 'अपने उम्मीदवार को जानो' ऐप चुनाव आयोग की एक सफल पहल थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया था कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को मतदाताओं के बारे में पता होना चाहिए। इसलिए, हमने यह ऐप बनाया है और 6,900 उम्मीदवारों में से 1,600 से अधिक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले थे। इसके अलावा उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव के लिए 31 हजार नए पोलिंग बूथ बनाए गए थे।
उन्होंने बताया कि हमने 1,900 मतदान केंद्र बनाए जो महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे थे और इसके कारण बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी देखी गई। 5 में से 4 राज्यों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं का प्रतिशत अधिक था। साथ ही, चंद्रा ने ये भी कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव एक अच्छा सुझाव है लेकिन इसके लिए संविधान में बदलाव की जरूरत है। चुनाव आयोग पूरी तरह से तैयार है और एक साथ सभी चुनाव कराने में सक्षम है। हम 5 साल में सिर्फ एक बार चुनाव कराने के लिए तैयार हैं।