लखनऊ: लखीमपुर खीरी मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अक्टूबर 2021 की लखीमपुर में किसानों की जान नहीं जाती, अगर केंद्रीय मंत्री ने किसानों के खिलाफ भड़काऊ भाषा नहीं दिया होता।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस डीके सिंह ने केंद्रीय मंत्री पर यह प्रतिकूल टिप्पणी लखीमपुर खीरी मामले में जेल में बंद चार सह आरोपियों अंकित दास, लवकुश, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की जमानत अर्जी खारिज करते हुए की।
वहीं खीमपुर खीरी मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा हैं। जिनकी जमानत याचिका पर सुनवाई सोमवार को नहीं हो सकी और उसके लिए कोर्ट ने 25 मई को तारीख दी है।
समाचार वेबसाइट 'डेक्कन हेराल्ड' के मुताबिक एसआईटी ने सेशन कोर्ट में दाखिल किये चार्जशीट में लखीमपुर खीरी हिंसा के लिए आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाते हुए उनके द्वारा की गई हिंसा एक 'पूर्व नियोजित साजिश' का हिस्सा माना था और आशीष मिश्रा के खिलाफ धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 326 (खतरनाक हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाना) के साथ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था।
इस केस का सबसे आश्चर्यजनक पहलू तब सामने आया था, जब एसआईटी के विरोध के बावजूद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फरवरी में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत पर रिहा कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट में किसानों ने आशीष मिश्रा की जमानत का विरोध करते हुए याचिका दाखिल की गई ।
देश की सर्वोच्च अदालत ने मिश्रा की जमानत रद्द करते हुए उन्हें दोबारा जेल की सलाखों में डालने का आदेश दिया और आगे की सुनवाई के लिए केस को वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास भेज दिया।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले में केंद्रीय मंत्री के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा, "राजनीति में उच्च पदों पर बैठे लोगों को समाज में अपने प्रभावों को देखते हुए सभ्य भाषा में भाषण देना चाहिए। अपनी गरिमा का ख्याल करते हुए उन्हें गैर-जिम्मेदाराना बयान से बचना चाहिए।"
इसके साथ बेंच ने कहा, "चार्जशीट के मुताबिक यह घटना नहीं होती अगर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कथित भड़काऊ बयान नहीं दिया होता। एसआईटी की ओर से दाखिल किये गये जवाबी हलफनामे में बताया गया है कि खुद को संयमित रखते तो लखीमपुर खीरी में उनके होनहार बेटे और अन्य आरोपियों द्वारा कथित तौर पर सबसे क्रूर, वीभत्स और अमानवीय तरीके से निर्दोष लोगों की जान नहीं जाती।
मालूम हो कि लखीमपुर हिंसा में चार किसानों सहित कुल आठ लोगों की हत्याएं हुई थीं और यह वारदात तब हुई थी जब सैकड़ों किसान अजय कुमार मिश्रा की उस टिप्पणी का विरोध कर रहे थे, जिसमें उन्होंने किसानों को धमकी देते हुए कहा था कि अगर वे कृषि कानूनों का विरोध करना नहीं छोड़ेंगे तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।