ब्लॉग: हिंदू विवाह पद्धति में सप्तपदी का है केंद्रीय महत्व

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: April 10, 2024 09:10 AM2024-04-10T09:10:29+5:302024-04-10T09:10:33+5:30

चूंकि हिंदू धर्म में विवाह विच्छेद की कभी कल्पना ही नहीं की गई थी, इसलिए इस बात पर विचार करने का कभी अवसर ही नहीं आया कि कौन सी रस्म ज्यादा महत्वपूर्ण है और कौन सी कम या कौन सी रस्म केंद्रीय महत्व की है।

Saptapadi has central importance in Hindu marriage system | ब्लॉग: हिंदू विवाह पद्धति में सप्तपदी का है केंद्रीय महत्व

ब्लॉग: हिंदू विवाह पद्धति में सप्तपदी का है केंद्रीय महत्व

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा एक मामले की सुनवाई के दौरान की गई यह टिप्पणी कि केवल सप्तपदी ही हिंदू विवाह का एक आवश्यक समारोह है, महत्वपूर्ण है। जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 7 का हवाला दिया और कहा कि हिंदू विवाह में कन्यादान करना एक आवश्यक रस्म नहीं है।

अदालत ने कहा कि यदि कोई युवक और युवती हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 7 के तहत बताई गई बातों को मानकर उसके अनुसार विवाह करते हैं तो उनकी शादी वैध होगी, भले ही उसमें कन्यादान की रस्म न निभाई गई हो। हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह की धारा 7 कहती है कि हिंदू विवाह विवाह के किसी भी पक्ष के पारंपरिक संस्कारों और समारोहों के अनुसार संपन्न किया जा सकता है। प्रावधान में कहा गया है कि जहां ऐसे संस्कारों और समारोहों में सप्तपदी (दूल्हा और दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के सामने संयुक्त रूप से सात फेरे लेना) शामिल है, सातवां फेरा लेने पर विवाह पूर्ण और बाध्यकारी हो जाता है।

इस तरह हिंदू विवाह अधिनियम केवल सप्तपदी को हिंदू विवाह के एक आवश्यक समारोह के रूप में मान्यता प्रदान करता है। वह हिंदू विवाह के अनुष्ठान के लिए कन्यादान को आवश्यक नहीं बताता. दरअसल हिंदू धर्म के अनुसार विवाह विधि में बहुत सारी रस्में होती हैं और विवाह समारोह प्राय: रात भर चलता है. इनमें से कुछ रस्में अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग हो सकती हैं लेकिन हर रस्म का अपना अनन्य महत्व होता है। चूंकि हिंदू धर्म में विवाह विच्छेद की कभी कल्पना ही नहीं की गई थी, इसलिए इस बात पर विचार करने का कभी अवसर ही नहीं आया कि कौन सी रस्म ज्यादा महत्वपूर्ण है और कौन सी कम या कौन सी रस्म केंद्रीय महत्व की है।

अब चूंकि अदालतों में विवाह को वैध या अवैध साबित करने के मामले आने लगे हैं, इसलिए हाईकोर्ट द्वारा हिंदू विवाह की धारा 7 के अनुसार विवाह की पूर्णता के लिए सप्तपदी को बाध्यकारी करार देना भविष्य के मामलों के लिए मील के पत्थर का काम करेगा।

उल्लेखनीय है कि हिंदू विवाह संस्कार के अंतर्गत वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर इसके चारों ओर घूमकर पति-पत्नी के रूप में एक साथ सुख से जीवन बिताने के लिए प्रण करते हैं और इसी प्रक्रिया में दोनों सात फेरे लेते हैं, जिसे सप्तपदी कहा जाता है। यह सातों फेरे या पद सात वचन के साथ लिए जाते हैं। हर फेरे का एक वचन होता है, जिसे पति-पत्नी जीवन भर साथ निभाने का वादा करते हैं और यह सात फेरे ही ‘हिंदू विवाह’ की स्थिरता का मुख्य स्तंभ होते हैं।

Web Title: Saptapadi has central importance in Hindu marriage system

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