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गुजरात में 24 मंत्रियों ने शपथ ली, नये मंत्रिपरिषद में रूपाणी नीत मंत्रिपरिषद का कोई सदस्य नहीं

By भाषा | Updated: September 16, 2021 19:58 IST

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गांधीनगर, 16 सितंबर गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को नवनियुक्त मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मंत्रिपरिषद में 24 नए सदस्यों को शामिल किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में बनाए गए इन नए मंत्रियों में 21 पहली बार मंत्री बने हैं। नई मंत्रिपरिषद में, निवर्तमान मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की मंत्रिपरिषद के किसी सदस्य को शामिल नहीं किया गया है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा मंत्रिपरिषद के नये स्वरूप से महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ना चाहती है। उन्होंने कहा कि पार्टी मतदाताओं का सामना साफ सुथरे चेहरों से करना चाहती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रिपरिषद के नये सदस्यों को बधाई दी।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘गुजरात सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले, पार्टी के सभी सहयोगियों को बधाई। यह वे उत्कृष्ट कार्यकर्ता हैं जिन्होंने सार्वजनिक सेवा और हमारी पार्टी के विकास के एजेंडे को बढ़ाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। उन्हें आने वाले कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं।’’

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 10 कैबिनेट मंत्रियों और 14 राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई, जिनमें पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री भी शामिल हैं।

मंत्रिपरिषद में नये सदस्यों को शामिल किये जाने के साथ मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल नीत भाजपा सरकार में मंत्रियों की कुल संख्या बढ़ कर 25 हो गई। पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती मंत्रिपरिषद के किसी भी सदस्य को नई मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया।

राजभवन में आयोजित एक समारोह में दोपहर डेढ़ बजे मंत्री पद की शपथ लेने वालों में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जीतू वघानी शामिल हैं।

राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में सोमवार को शपथ ग्रहण करने वाले भूपेंद्र पटेल इस दौरान रूपाणी के साथ मौजूद थे। रूपाणी के शनिवार को मुख्यमंत्री पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद नई मंत्रिपरिषद का गठन किया गया है।

कैबिनेट मंत्रियों के रूप में शपथ लेने वालों में राजेंद्र त्रिवेदी, जीतू वघानी, ऋषिकेश पटेल, पूर्णेश मोदी, राघवजी पटेल, कनुभाई देसाई, किरीट सिंह राणा, नरेश पटेल, प्रदीप परमार और अर्जुन सिंह चौहान शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि इनमें त्रिवेदी, राणा और राघवजी पटेल पहले भी मंत्री रहे हैं।

वहीं, नौ राज्य मंत्रियों में मुकेश पटेल, निमिशा सुतार, अरविंद रैयानी, कुबेर डिंडोर, कीर्ति सिंह वाघेला, गजेंद्र सिंह परमार, आर सी मकवाना, विनोद मोरादिया और देव मालम शामिल हैं।

मंत्रिपरिषद के गठन में पार्टी ने जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की है।

पाटीदार समुदाय के नेता भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री पद के लिए चुनने के बाद भाजपा ने पटेल और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में प्रत्येक से छह, अनुसूचित जाति से चार, अनुसूचित जनजाति से तीन, ब्राह्मण और क्षत्रिय से दो-दो तथा जैन समुदाय से एक सदस्य को मंत्री पद दिया है।

मुख्यमंत्री को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का नजदीकी माना जाता है। इसी प्रकार मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए ऋषिकेश पटेल और जगदीश पांचाल को भी आनंदी बेन पटेल का करीबी माना जाता है।

कैबिनेट मंत्री बनाए गए राजेंद्र तिवारी और किरीट सिंह राणा पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं और उन्हें प्रधानमंत्री का करीबी माना जाता है जबकि राज्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हर्ष सांघवी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी आर पाटिल का बेहद करीबी माना जाता है।

शपथ ग्रहण समारोह के बाद पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिपरिषद में शामिल ना किए जाने को लेकर व्यापक असंतोष है।

पत्रकारों ने जब पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से इस कथित असंतोष के बारे में पूछा तो उन्होंने दार्शनिक अंदाज में कहा, ‘‘लोग पदों पर आते हैं और जाते हैं। उनके समर्थकों को इसकी अनुभूति होती है। लेकिन अब यह मेरी जिम्मेदारी नहीं है। पार्टी नेतृत्व को इसे देखना होगा।’’

उन्होंने नये मंत्रियों को बधाई दी और कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में वह पार्टी का नेतृत्व करेंगे।

ज्ञात हो विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ‘‘न दोहराने का फार्मूला’’ अपनाती रही है और इसके तहत बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काटे जाते हैं। हालांकि भाजपा ने इस बार यह फार्मूला मंत्रिपरिषद के गठन में अपनाया है।

पटेल को मुख्यमंत्री बनाए को, चुनाव से पहले पाटीदार समुदाय को साधने के भाजपा के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। राज्य में दो दशकों से भाजपा का शासन हैं। वर्ष 1960 में राज्य के गठन के बाद से मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले पटेल पाटीदार समुदाय के पांचवें नेता हैं। यह राज्य के प्रभावशाली पाटीदार समुदाय के दबदबे को दर्शाता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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