हर्पीस एक वायरस है जो आपके मुंह और जननांगों में घाव का कारण बन सकता है। यह किसी को भी हो सकता है। यह काफी दर्दनाक होता है लेकिन इससे आमतौर पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं नहीं होती हैं। यह एक तरह का इन्फेक्शन है, जो हर्प्स सिंप्लेक्स नामक वायरस से होता है। जब यह शरीर के संपर्क में आता है, तो आसानी से त्वचा की निचली सतह या खून में प्रवेश कर जाता है और इन्फेक्शन फैला देता है। यह शरीर में अलग-अलग जगहों पर हो सकता है जैसे-मुंह के अंदर, चेहरे पर, जेनाइटल एरिया में। चलिए जानते हैं इससे निजात पाने के घरेलू नुस्खे। 1) बेकिंग सोडा इसके लिए 1 चम्मच बेकिंग सोडा, 2 चम्मच पानी और कॉटन बॉल चाहिए। बेकिंग सोडा को पानी में घोल लें फिर कॉटन बॉल को उसमे अच्छे से घोलें और इन्फेक्टेड एरिया पर लगाएं। इन्फेक्शन से बचने के लिए हर बार अलग कॉटन बॉल का इस्तेमाल करें। इसे दिन में 3 से 4 बार करें।
2) एलोवेरा जेल एलोवेरा की पत्ती में से साफ हाथों से एलोवेरा जेल निकालें और उसे इन्फेक्टेड एरिया पर लगाएं और सूखने दें। ऐसा दिन में तीन बार करें।
3) ऑलिव ऑयल इसके लिए एक कप ऑलिव ऑयल, 10 बूंद लैवेंडर ऑयल, 2 चम्मच बीजवैक्स और कॉटन बॉल चाहिए। ऑलिव ऑयल में लैवेंडर ऑयल और बीजवैक्स मिलाकर गर्म करें और ठंडा होने के बाद उसे इन्फेक्टेड एरिया पर लगाएं। एसा दिन में 3 से 4 बार करें।
4) ग्रीन टी ग्रीन टी की बैग या पत्ती लें उसे एक कप गरम पानी में कुछ देर छोड़ दें। फिर उसमे फ्लेवर के लिए शहद या लेमन जूस मिलाएं। इसे दिन में 3 या 4 बार पिएं।
5) एप्सॉम सॉल्ट एक कप एप्सॉम सॉल्ट को बाथ टब में मिलाएं और उसमें 15 मिनट बैठें। उसके बाद नहा लें। इसे दिन में दो बार दोहराएं।
6) शहद शहद को प्रभावित हिस्से पर लगाकर 5-7 मिनट तक छोड़ दें और फिर धो लें। दिन में 2 बार ऐसा करें। शहद में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण सूजन और खुजली को कम करता है और छाले को भी कम करता है।
7) अदरकअदरक के टुकड़े को सीधे प्रभावित हिस्से पर लगाएं आपको आराम महसूस होगा या फिर आप अदरक को खाली पेट भी खा सकते हैं। अदरक में एंटीसेप्टिक और हिलिंग इफेक्ट होते हैं जो वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं।
8) लेमन बामलेमन बाम इस तरह के दर्दनाक छालों के लिए एक प्रभावी हर्बल उपचार है। इसमें कुछ हर्बल अर्क होते हैं जो उनके उपचार और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के लिए जाने जाते हैं। नियमित रूप से लगाने से जल्दी राहत पाई जा सकती है। इसके लिए प्रभावित हिस्से पर दिन में कई बार लगाएं।