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2021 में भी जारी रहेगा दुर्गम क्षेत्रों में सड़क सुविधाओं का विस्तार, इलेक्ट्रिक वाहनों पर होगा जोर

By भाषा | Updated: December 24, 2020 19:48 IST

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नयी दिल्ली, 24 दिसंबर कोरोना वायरस महामारी के बीच अवसर तलाशते हुये 2020 में कैलाश मानसरोवर मार्ग से लेकर जोजिला टनल और लिपुलेख- पास तक देश के विभिन्न दुर्गम इलाकों में सड़कों और राजमार्गों पर टनल के निर्माण और महत्वपूर्ण ढांचागत सुविधाओं का विस्तार करते हुये सरकार का इरादा 2021 में भी सड़क नेटवर्क का विस्तार जारी रखने और इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने का है।

देशभर में सड़कों को उन्नतम और आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के शब्दों में यदि कहा जाये तो सरकार ने महामारी के कारण पैदा संकट के बीच अवसर तलाशने का फैसला किया।

राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 1,34,000 किलोमीटर के करीब पहुंच चुकी है और पांच साल में इसमें 60 हजार किलोमीटर सड़कों को और जोड़ने का लक्ष्य है।

गडकरी ने पीटीआई- भाषा से कहा जब पूरी दुनिया कोविड- 19 महामारी से जूझ रही थी तब ‘‘हमने इसे (संकट) अवसर में बदलने का फैसला किया। यही वजह है कि इस दौरान दुर्गम पहाड़ी इलाकों में बड़ा काम किया जा सका। चंबा शहर के नीचे टनल बनी, कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर काम हुआ और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई परियोजनाओं को आगे बढ़ाया गया। ’’

वर्ष 2020 में रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण 14.15 किलोमीटर लंबी जोजिला टनल पर काम शुरू किया गया। इस टनल के बन जाने से श्रीनगर घाटी और लेह के बीच बारहमास आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। यह परियोजना पिछले कई सालों से लटकी पड़ी थी। इसके नमूने में बदलाव किया गया जिससे कि 5,000 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है।

महामारी के दौरान सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के बड़े हिस्से धारचुला से लिपुलेख तक के मार्ग पर काम पूरा कर दिया। इस हिस्से के तैयार हो जाने से लिपुलेख पास को धारचुला से जोड़ दिया। यह स्थान उत्तराखंड में चीन की सीमा के साथ लगता 17,000 फुट की ऊंचाई पर है।

गडकरी ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर क्षेत्र में ही अकेले सात टनल सड़कों पर काम चल रहा है। इसमें काजीगुंड और बनिहाल के बीच 8,450 मीटर लंबी दोहरी टनल पर भी निर्माण कार्य चल रहा है। यह काम आगामी मार्च में पूरा होने की उम्मीद है। इसके साथ ही रामबन और बनिहाल के बीच 2,968 मीटर लंबी छह-एकल टनल सड़कों पर भी काम चल रहा है जो कि अगले साल दिसंबर 2021 तक पूरा होने की उम्मीद है।’’

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री ने कहा ने कहा कि हमने कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर 85 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है जबकि शेष कार्य अप्रैल 2021 तक पूरा हो जायेगा।

उन्होंने कहा कि विभिन्न परियोजनाओं और कार्यक्रमों के जरिये अगले पांच साल के दौरान 60,000 किलोमीटर सड़कों के विकास का लक्ष्य तय किया गया है। दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेस मार्ग सहित विभिन्न परियोजनाओं पर काम पूरे जोरों पर चल रहा है। इस मार्ग के अगले दो साल में पूरा हो जाने की उम्मीद है। इस मार्ग पर 50 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।

गडकरी ने कहा कि भारत में बिजली अधिशेष है इसलिये ई- मोबिलिटी समाधान का लाभ उठाने की व्यापक संभावनायें हैं। ऐसे में केन्द्र की मंशा निजी कारों में 30 प्रतिशत तक इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या करने, वाणिज्यिक कारों में 70 प्रतिशत, बसों में 40 प्रतिशत और दुपहिया और तिपहिया वाहनों में 80 प्रतिशत संख्या इलेक्ट्रिक वाहनों की करने की है। यह काम 2030 तक करने की दिशा में सरकार बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने के लिये देशभर में फैले 69,000 पेट्रोल पंपों के साथ कम से कम एक ई- चार्जिंग स्टेशन खोले जाने की भी योजना है। उन्होंने कहा कि भारत में अगले पांच साल में दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादक बनने की संभावना है। गडकरी ने कहा, ‘‘अब नंबर एक बनने के लक्ष्य को पाने का समय आ गया है .. कच्चा माल उपलब्ध है, बिजली की दरें कम हो रहीं हैं ... यह उपयुक्त स्थिति है।’’

राजमार्ग मंत्री ने कहा कि बिजली के अलावा एथनॉल भी एक अन्य शक्तिशाली ईंधन हो सकता हे। उन्होंने जोर देते हुये कहा कि 22,000 करोड़ रुपये की एथनॉल अर्थव्यवस्था से इसे आसानी से दो लाख करोड़ रुपये तक ले जाया जा सकता है जिसमें 25 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिलाने के लिये 1,600 करोड़ लीटर की आवश्यकता होगी लेकिन इसकी खरीद 450 करोड़ लीटर ही है।

गडकरी ने कहा, ‘‘हमारी योजना पेट्रोल में 22 प्रतिशत तक एथनॉल को मिलाने की अनुमति देने की है। इसके लिये अकेले पेट्रोल में ही मिलाने के लिये 3,500 करोड़ लीटर एथनॉल की आवश्यकता होगी। जबकि बाद में डीजल में मिलाने के लिये भी काफी मात्रा में एथनॉल चाहिये होगा। इसके लिये वाहनों में भी विकसित देशों की तर्ज पर फ्लेक्स इंजन बनाये जायेंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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