हैदराबाद: मशहूर निर्देशक एस.एस. राजमौली ने मंगलवार को घोषणा की कि वह ‘भारतीय सिनेमा के जनक’ दादासाहेब फाल्के पर फिल्म बनाएंगे। दादासाहेब फाल्के के जीवन पर आधारित फिल्म का नाम 'मेड इन इंडिया' होगा। राजमौली ने कहा कि जब उन्होंने कहानी सुनी तो वह भावुक हो गए।
बाहुबली और आरआरआर के निर्देशक ने एक्स पर लिखा, "जब मैंने पहली बार कहानी सुनी, तो मैं भावुक हो गया। किसी के जीवन पर फिल्म बनाना अपने आप में काफी कठिन काम है, लेकिन भारतीय सिनेमा के जनक पर फिल्म बनाना तो और भी मुश्किल है। हमारे साथी इसके लिए तैयार हैं। बेहद गर्व के साथ, प्रस्तुत है 'मेड इन इंडिया'।"
हालांकि एस.एस. राजमौली खुद इस फिल्म को निर्देशित नहीं करेंगे। फिल्म का निर्देशन नितिन कक्कड़ करेंगे। यह निर्माता के तौर पर राजामौली के बेटे कार्तिकेय की पहली फिल्म होगी। उन्होंने ‘आरआरआर’ में लाइन प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया था।
बता दें कि ‘भारतीय सिनेमा के जनक’ कहे जाने वाले दादासाहेब फाल्के ने साल 1913 में राजा हरिशचंद्र के नाम से भारत की पहली फीचर फिल्म बनाई थी। मौजूदा महाराष्ट्र के ट्रिंबक में जन्मे दादासाहेब फाल्के का वास्तविक नाम धुंडिराज गोविंद फाल्के था। उनका जन्म 30 अप्रैल 1870 में हुआ था। उनके पिता गोविंद सदाशिव फाल्के संस्कृत के विद्धान और मंदिर में पुजारी थे। उन्होंने 19 साल के फिल्मी करियर में 95 फिल्में और 27 शॉर्ट फिल्में बनाईं। वह न सिर्फ निर्माता-निर्देशक बल्कि स्क्रीन राइटर भी थे।
दादा साहेब ने 16 फरवरी 1944 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। भारत में सिनेमा की शुरुआत करने के लिए उनके सम्मान में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड दिया जाता है। साल 1969 में इसकी शुरुआत हुई थी।
फिल्मों को लेकर उनके मन में इतना जूनून थाकि वे लंदन गए और वहाँ पर दो महीने रहकर सिनेमा की तकनीक समझी और फ़िल्म निर्माण का सामान लेकर भारत लौटे। तत्पश्चात् 1912 में ‘दादर’ (मुम्बई) में ‘फाल्के फ़िल्म’ नाम से अपनी फ़िल्म कम्पनी आरम्भ की। दादा साहब फाल्के के फ़िल्म निर्माण की ख़ास बात यह है कि उन्होंने अपनी फ़िल्में बंबई के बजाय नासिक में बनाई। वर्ष 1913 में उनकी फ़िल्म 'भस्मासुर मोहिनी' में पहली बार महिलाओं, दुर्गा गोखले और कमला गोखले, ने महिला किरदार निभाया। इससे पहले पुरुष ही महिला किरदार निभाते थे।