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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: चीन-विरोधी चौगुटा कितना सफल होगा?

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: October 8, 2020 12:21 IST

डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले तो चीन के प्रति नरम-गरम रवैया अपनाया लेकिन कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराकर उन्होंने उसके विरुद्ध खुला वाक् युद्ध छेड़ दिया. अब वे चाहते हैं कि चीन को सबक सिखाया जाए.

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 अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत- इन चारों देशों के चौगुटे की बैठक, जो टोकियो में हुई, वह अजीब-सी रही. इन चारों देशों के विदेश मंत्नी एक-दूसरे से साक्षात मिले और चारों ने प्रशांत-क्षेत्न की शांति और सुरक्षा के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया. यह चौगुटा अमेरिका की पहल पर बनायागया है.

जैसे अमेरिका ने सोवियत संघ के विरुद्ध नाटो और सेन्टो के सैन्य-गुट खड़े किए थे, वैसे ही वह अब चाहता है कि चीन के विरु द्ध चक्र व्यूह खड़ा किया जाए. यह डोनाल्ड ट्रम्प के दिमाग की उपज है. राष्ट्रपति बराक ओबामा हेनरी किसिंजर के सपने को आगे बढ़ाना चाहते थे और एशिया में चीन को विशेष महत्व देना चाहते थे. ट्रम्प का रवैया भी शुरू-शुरू में यही था लेकिन व्यापार के मामले में चीन का कड़ा रु ख ट्रम्प की मुसीबत बन गया.

ट्रम्प ने पहले तो चीन के प्रति नरम-गरम रवैया अपनाया लेकिन कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराकर उन्होंने उसके विरुद्ध खुला वाक् युद्ध छेड़ दिया. अब वे चाहते हैं कि चीन को सबक सिखाया जाए. इसीलिए उनके विदेश मंत्नी माइक पोंपियो ने टोकियो बैठक में चीन के खिलाफ जमकर आरोप लगाए. उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का नाम लेकर कहा कि उसके शोषण, भ्रष्टाचार और दादागीरी का डटकर विरोध किया जाना चाहिए.

उन्होंने हांगकांग और ताइवान के खिलाफ किए जा रहे चीनी अत्याचारों का भी जिक्र किया. उन्होंने ‘भारत-प्रशांत क्षेत्न’ को चीनी दबाव से मुक्त करने का नारा भी लगाया. भारत को खुश करने के लिए उन्होंने लद्दाख में हुई मुठभेड़ का भी जिक्र किया. उन्होंने कोरोना महामारी का भी सारा दोष चीन के मत्थे मढ़ दिया. लेकिन शेष तीनों देशों के विदेश मंत्रियों के जो भाषण हुए, उनमें किसी ने भी चीन का नाम तक नहीं लिया. उनमें से कोई चीन से पंगा लेने को तैयार नहीं था. उनके भाषणों का सार यही था कि ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्न’ में ‘कानून का राज’ चलना चाहिए और सामुद्रिक मार्ग सबके लिए खुले होने चाहिए.

जब चारों विदेश मंत्नी जापान के नए प्रधानमंत्नी योशिहिद सुगा से मिलने गए तो उन्होंने भी यही कहा. दूसरे शब्दों में चौगुटे के शेष अन्य तीन सदस्य अमेरिकी फिसलपट्टी पर फिसलने को तैयार नहीं थे. इसीलिए कोरोना-काल में हुई साक्षात बैठक ने कोई संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं किया. हां, चीनी सरकार ने अमेरिकी रवैये की भर्त्सना करते हुए कहा कि किसी अन्य राष्ट्र की टांग खींचने के बजाय इस तरह के संगठनों को परस्पर सहयोग बढ़ाने पर जोर देना चाहिए.

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