राम मंदिर में एक बार फिर चुनाव जिताने की संभावनाएं देखने वाला यह विश्लेषण इस धारणा पर टिका है कि 2019 में जो वोट डालने जाएंगे, उनका राजनीतिक - सामाजिक किरदार वही है जिसके आधार पर नब्बे के दशक में भाजपा के संसदीय उत्थान की पटकथा लिखी गई थी।
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यहां असली सवाल यह है कि हम पटाखे फोड़ते ही क्यों हैं? क्या दिवाली और पटाखों का कोई जन्मजात संबंध है? नहीं, ऐसा नहीं है। अमेरिकी और चीनी लोगों के यहां दिवाली कोई नहीं मनाता (प्रवासी भारतीयों के सिवाय) लेकिन वहां गजब की पटाखेबाजी होती है।
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जिस प्रकार अगर एक अमीर आदमी अपनी दौलत को बांटना चाहे तो वह हरेक को नहीं देता बल्कि वह इंतजार करता है और जो लोग उससे इस दौलत को मांगते हैं, वह केवल उन्हीं को बांटता है।
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गोस्वामी तुलसीदासजी ने इसी तरह के अपने तम को मिटाने के लिए भगवान राम का गुणगान किया था। आज की समस्या यह है कि वह तम या अंधकार जिसके चलते निजी और सामाजिक जीवन में आए दिन कपट, छल, छद्म, धोखा और हिंसा के बवंडर उठते रहते हैं उनका स्वरूप ऊपर से इतना मोह
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राम अपनी विविधताओं के साथ प्रथमदृष्टया तो वहां-वहां उपस्थित हैं जहां उनकी कथा यानी रामायण किसी-न-किसी रूप में प्रतिष्ठित है। हालांकि जब किसी काव्य की रचना होती है तो उसकी आत्मा वहीं रहती है लेकिन भौगोलिक-सांस्कृतिक परिवेश उसके आवरण, भाषा और साज-सज्ज
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आयोग ने रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से कहा है कि इस मामले पर (पूर्व गवर्नर, रिजर्व बैंक) रघुराम राजन के पत्र को भी सार्वजनिक किया जाए। सूचना आयोग को बधाई कि उसने इतना कठोर कदम उठाया है।
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दीपक के लगातार जगने के लिए उसमें निरंतर घी या तेल का होना जरूरी है। उसी प्रकार मनुष्यात्मा की आत्मिक ज्योति जगते रहने के लिए भी उसमें ईश्वरीय ज्ञान का निरंतर बने रहना जरूरी है।
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1971 की जंग में कैप्टन आवटी को आईएनएस कामोर्ता की कमान सौंपी गई। इस जंग के दौरान पश्चिमी बेड़े में उनका युद्धपोत ज्यादा समय तक दुश्मन के इलाके में रहा था।
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1991 में आम चुनाव से पहले राममंदिर बनाने के मुद्दे पर लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकाली तो माना गया कि भाजपा राम के सहारे चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है। बात सही थी। पार्टी को उसका फायदा भी हुआ। रामलला के पड़ोसी राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्र
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भारत के पड़ोसी देशों की व्यवस्थाओं से जुड़ी तस्वीर देखें तो वह बेहद चिंताजनक नजर आएगी। भारत के पड़ोसी देशों की व्यवस्थाएं मूल रूप से तीन प्रकार की विशेषताओं से संपन्न देखी जा सकती हैं- स्थायित्व का संकट, राजनीति का संकटापन्न और चीनी कर्ज के कारण आर्थ
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