सारंग थत्ते का ब्लॉगः 1971 की जंग के नायक वाइस एडमिरल आवटी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 6, 2018 05:43 AM2018-11-06T05:43:31+5:302018-11-06T05:43:31+5:30

1971 की जंग में कैप्टन आवटी को आईएनएस कामोर्ता की कमान सौंपी गई। इस जंग के दौरान पश्चिमी बेड़े में उनका युद्धपोत ज्यादा समय तक दुश्मन के इलाके में रहा था।

Vice Admiral MP Awati, 1971 war hero | सारंग थत्ते का ब्लॉगः 1971 की जंग के नायक वाइस एडमिरल आवटी

सारंग थत्ते का ब्लॉगः 1971 की जंग के नायक वाइस एडमिरल आवटी

सारंग थत्ते, सेवानिवृत्त कर्नल
  
सागर से अथाह लगाव कैसे बन जाता है भारतीय नौसेना के अधिकारी का जिसका मूल कार्यक्षेत्र नौसेना में संचार संबंध रहा था। लेकिन अपनी लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति से वाइस एडमिरल मनोहर प्रह्लाद आवटी ने अपने आपको सागर की लहरों से इस तरह रिश्ता जमा लिया कि उन्हें 1971 की भारत-पाक जंग से पहले भारतीय नौसेना के युद्धपोत कामोर्ता का कमान अधिकारी नियुक्त किया। भारतीय नौसेना में उन्हे 71 की जंग का हीरो माना जाता रहा है। नौसेना प्रमुख एडमिरल लांबा ने उनके निधन पर अपने संदेश में कहा कि एक युग का अंत हुआ है। 

1971 की जंग में कैप्टन आवटी को आईएनएस कामोर्ता की कमान सौंपी गई। इस जंग के दौरान पश्चिमी बेड़े में उनका युद्धपोत ज्यादा समय तक दुश्मन के इलाके में रहा था। बांग्लादेश के आसपास पाकिस्तानी पनडुब्बियां और सागर में मौजूद बारूदी सुरंगों का खतरा युद्धपोतों को हमेशा रहा था। इस सबके बीच अवाती ने अपने युद्धपोत से दुश्मन पर भारी गोलाबारी की थी। 

उस समय भारतीय युद्धपोतों के पास एक प्रमुख कार्य था कि किसी भी सूरत में पश्चिमी पाकिस्तान से मदद के लिए आने वाले युद्धपोतों और पनडुब्बियों को बांग्लादेश पहुंचने से रोकना। इस तरह बंदरगाहों की चौकसी में उनके युद्धपोत ने दुश्मन के तीन नावों को घेरा और उसमें मौजूद संदिग्ध साजो-समान जब्त किया था। इस कार्रवाई की बदौलत पाकिस्तान की एक पनडुब्बी को डुबोने का मकसद भी पूरा हुआ था।

18 दिसंबर 1971 को  31 वें पेट्रोलिंग पोत स्क्वाड्रन में शामिल आईएनएस कामोर्ता जो पांच पोतों का दस्ता था में कमान अधिकारी आवटी और कैप्टन स्वराज प्रकाश को चीटगोंग पहुंचने का हुक्म मिला। नौसेना के दोनों अधिकारी अलयूट हेलिकॉप्टर से चीटगोंग पहुंचे। वहां उन्हें कुछ रोती-बिलखती बांग्लादेशी महिलाओं ने घेर लिया जो वहां से निकले जाने की गुहार कर रही थी। उसी समय दो पाकिस्तानी नौसेना अधिकारी वहां पहुंचे और उन्होंने अपने हथियार देकर आत्मसमर्पण किया। इस जंग में उनके द्वारा दिखाए गए अदम्य साहस और नेतृत्व को देखते हुए उन्हे वीर चक्र  से सम्मानित किया गया था।   

साहसिक कार्यों में हमेशा ही एक प्रेरणास्रोत जरूरी होता है। भारतीय नौसेना के नाविका सागर परिक्रमा  के तीनों अभियान में वाइस एडमिरल आवटी का एक बहुत बड़ा हिस्सा रहा है। इन अभियानों में भारत में बनी हुई पाल नौका और भारत में प्रशिक्षित नौसेना अधिकारियों ने भारतीय तिरंगा लहराया था।  शेर और बाघों के संरक्षण के लिए भी वाइस एडमिरल आवटी ने काफी कार्य किया है और दो किताबों का संपादन भी किया है। नौसेना में वाइस एडमिरल आवटी का नाम बरसों तक बड़े आदर और सम्मान से लिया जाता रहेगा। 1971 की जंग के नौसेना के हीरो!

Web Title: Vice Admiral MP Awati, 1971 war hero

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