राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉगः दिवाली का आध्यात्मिक पहलू 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 7, 2018 11:50 AM2018-11-07T11:50:57+5:302018-11-07T11:50:57+5:30

जिस प्रकार अगर एक अमीर आदमी अपनी दौलत को बांटना चाहे तो वह हरेक को नहीं देता बल्कि वह इंतजार करता है और जो लोग उससे इस दौलत को मांगते हैं, वह केवल उन्हीं को बांटता है।

know about of spiritual aspect of Diwali | राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉगः दिवाली का आध्यात्मिक पहलू 

राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉगः दिवाली का आध्यात्मिक पहलू 

राजिंदर सिंह महाराज 

दिवाली व रोशनी के इस त्यौहार के दिन सभी लोग दीये, मोमबत्ती व लैम्प आदि जलाकर रोशनी करते हैं। यह पर्व प्रभु राम और सीता के 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या में उनके आगमन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भारत में इस त्यौहार पर सभी लोग अपने घरों व दुकानों आदि को साफ कर सजाते हैं। यह शरद ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है। खुशियों के इस त्यौहार को सभी लोग एक दूसरे को मिठाइयां बांटकर व मिलजुल कर मनाते हैं। रोशनी के प्रतीक दिवाली के त्यौहार का एक आध्यात्मिक पहलू भी है जो हमें समझाता है कि हमारे अंदर भी प्रभु की ज्योति विद्यमान है और जिसका अनुभव हम अपनी आत्मा के द्वारा कर सकते हैं। 

यह प्रत्येक मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह अपने जीवन में ही प्रभु की ज्योति का अनुभव करे और वापस पिता-परमेश्वर में जाकर लीन हो और यह तभी संभव है जब हमारे अंतस में प्रभु को पाने के लिए तड़प उत्पन्न हो। पिता-परमेश्वर ने जब हमें इस संसार में भेजा तो वापस जाने का रास्ता भी हमारे लिए बनाया। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति को कुछ स्वतंत्र अधिकार दिए हैं। यदि हममें से कोई भी उन्हें यह कहे कि हमें हमारे घर वापस ले चलो तो वे हमारी ये पुकार जरूर सुनेंगे लेकिन हमारी यह प्रार्थना किसी के दबाव में न हो। 

जिस प्रकार अगर एक अमीर आदमी अपनी दौलत को बांटना चाहे तो वह हरेक को नहीं देता बल्कि वह इंतजार करता है और जो लोग उससे इस दौलत को मांगते हैं, वह केवल उन्हीं को बांटता है। जैसे एक डॉक्टर केवल उसी मरीज को ठीक करता है, जो उसके पास अपनी बीमारी को लेकर आता है और उससे उस बीमारी को ठीक करने के लिए प्रार्थना करता है। ठीक इसी प्रकार पिता-परमेश्वर के पास हम सबके लिए रूहानी खजाने हैं। अगर वे उन्हें प्रदान करें जो इसकी इच्छा ही न रखते हों तो वे शायद उस खजाने को स्वीकार नहीं करेंगे और न ही इसके महत्व को पहचानेंगे क्योंकि उन्होंने इसके लिए कभी प्रार्थना की ही नहीं। पिता-परमेश्वर तब तक हमारा इंतजार करते हैं जब तक कि हम उनसे मांगते नहीं। एक बार अगर हमारे अंदर प्रभु-प्रेम को पाने की तड़प पैदा हो गई तो वे अवश्य ही उसे पाने के लिए हमारी सहायता करेंगे।

केवल मनुष्य चोले में ही हम अपनी आत्मा का मिलाप परमात्मा में करा सकते हैं लेकिन कुछ ही ऐसे खुशकिस्मत लोग होते हैं जो कि अपने जीवन में इस उद्देश्य को पूरा करते हैं। हम सब प्रभु-प्रेम की इस मस्ती को पा सकते हैं। आइए हम मानव जीवन के इस सुनहरे अवसर को न गंवाएं और अपना ध्यान अंतमरुख कर प्रभु की ज्योति को अपने अंदर जलाएं। 

Web Title: know about of spiritual aspect of Diwali

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