जनहित अभियान (नवंबर 2022) मामले में सुप्रीम कोर्ट का बहुमत का फैसला देश के अंतर-पीढ़ीगत न्याय को आगे बढ़ाने के सामूहिक प्रयास में एक ऐतिहासिक क्षण है. यह पहचान और प्रतिनिधित्व से आगे, सरकारी रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण को सकारात्मक कार्रव
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बाबासाहब ने अपनी राहों के कांटे बुहारकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने से लेकर समाज सुधार और संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने तक की जिम्मेदारी निभाई।
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भारतीय कंपनियां भी देश की सेना के लिए उत्पादन करने में जुट गई हैं। इसी ताकत के साथ सेना आत्मनिर्भरता की बात नि:संकोच करने लगी है। मगर यह भी आवश्यक है कि सैन्य तरक्की के कार्य में आर्थिक मोर्चे पर कोई कमी नहीं आनी चाहिए, जो केवल मजबूत करदाताओं से संभव
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अमेरिका ने एक रिपोर्ट हाल ही में जारी की है। उसके अनुसार दुनिया के 14 देशों में धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा है। यह खुशी की बात है कि 14 देशों में भारत का आगे-पीछे कहीं भी नाम नहीं है।
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भारत-ऑस्ट्रेलिया एफटीए के इसी साल लागू होने के बाद ऑस्ट्रेलिया को भारत का करीब 96 फीसदी निर्यात और भारत को ऑस्ट्रेलिया का करीब 85 फीसदी निर्यात शुल्क मुक्ति के साथ किया जा सकेगा.
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ईरान और चीन में विद्रोह के पीछे भले ही दुनिया को तात्कालिक घटनाएं नजर आ रही हों लेकिन हकीकत यह है कि वहां आजादी की आग भड़की है. यह दुर्भाग्य है कि तेजी से विकसित हो रही दुनिया में अब भी कम से कम 52 देश सीधे तौर पर तानाशाह के कब्जे में हैं. 70 प्रतिशत
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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) के द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार गुजरात में विधानसभा के लिए हो रहे चुनावों में खड़े कुल 1621 उम्मीदवारों में से बीस प्रतिशत यानी हर पांच में से एक उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि वाला है। यह अध्ययन उम्मीदवारों
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इस दर वृद्धि के पीछे कंपनी का यह भी तर्क है कि वह 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक की बकाया वसूली की चुनौती से जूझ रही है। लेकिन बकाया वसूली की जिम्मेदारी भी तो कंपनी की ही है, उसका खामियाजा ग्राहक क्यों भुगते?
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जिस तरह इस बार के चुनावों में 61 प्रतिशत वोटिंग हुई, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि वह इस बात की तरफ संकेत है कि जनता दोनों ही मुख्य गठबंधनों से ज्यादा संतुष्ट नहीं है।
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