संपादकीय: बिजली की दरों में मनमानी वृद्धि उचित नहीं

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: December 3, 2022 10:50 AM2022-12-03T10:50:22+5:302022-12-03T10:59:33+5:30

इस दर वृद्धि के पीछे कंपनी का यह भी तर्क है कि वह 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक की बकाया वसूली की चुनौती से जूझ रही है। लेकिन बकाया वसूली की जिम्मेदारी भी तो कंपनी की ही है, उसका खामियाजा ग्राहक क्यों भुगते?

Electricity rates may increase again in Maharashtra why should public bear brunt power companies | संपादकीय: बिजली की दरों में मनमानी वृद्धि उचित नहीं

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsमहाराष्ट्र में फिर से बिजली की दरें बढ़ सकती है।इस पर बिजली कंपनियां का कहना है कि वे कोरोना काल में महंगी कीमत पर बिजली खरीदी थी। ऐसे में बिजली दरों को बढ़ाकर आम जनता से इस नुकसान की भरपाई की जा रही है।

मुंबई: बिजली की महंगी दरों से परेशान महाराष्ट्र के नागरिकों पर दर वृद्धि का जो फिर से साया मंडरा रहा है, वह निश्चित रूप से चिंताजनक है. 

महावितरण ने बुधवार को महाराष्ट्र प्रदेश नियामक आयोग के समक्ष मध्यावधि दर वृद्धि की जो याचिका दायर की है, वह मंजूर हो गई तो घरेलू बिजली की दर श्रेणी अनुसार 25 पैसे से लेकर 2.35 रुपए तक बढ़ सकती है. चौंकाने वाली बात यह है कि विद्युत उत्पादन की लागत में कोई वृद्धि नहीं है, वह पहले की तरह ही है. 

क्यों हुई है बिजली के दर में वृद्धि

यह दर वृद्धि दरअसल विद्युत कंपनी अपने घाटे की भरपाई के लिए कर रही है, जिसके लिए उसका कुप्रबंधन ही जिम्मेदार है. लेकिन विद्युत ग्राहकों को इसका खामियाजा भुगतने के लिए मजबूर किया जा रहा है. बिजली कंपनी का कहना है कि कोरोना काल में उसने जो महंगी बिजली खरीदी थी, अब उसका बोझ उतारना है. 

लेकिन ग्राहकों को चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराना तो बिजली कंपनी का कर्तव्य है, इसका बोझ वह ग्राहकों पर कैसे डाल सकती है? दर वृद्धि के पीछे कंपनी का यह भी तर्क है कि वह 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक की बकाया वसूली की चुनौती से जूझ रही है. लेकिन बकाया वसूली की जिम्मेदारी भी तो कंपनी की ही है, उसका खामियाजा ग्राहक क्यों भुगते? 

महाराष्ट्र में बिजली दरें सर्वाधिक है महंगी 

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र का शुमार उन राज्यों में है जहां बिजली दरें सर्वाधिक महंगी हैं. यह विडंबना ही है कि एक तरफ तो राजनीतिक दल चुनावों के दौरान मुफ्त बिजली का प्रलोभन देते हैं और दूसरी तरफ बिजली कंपनियां विद्युत दरें बढ़ाती जाती हैं. 

बिजली आज प्रत्येक घर में बुनियादी जरूरत के तौर पर शुमार हो चुकी है. कुछ घंटों के लिए भी अगर बिजली गुल हो जाए तो हम बेहाल होने लगते हैं. सड़कों पर डीजल-पेट्रोल से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए भी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है. 

बिजली से जुड़ी समस्या को सुलझाना विद्युत कंपनियों का है दायित्व 

ऐसे में बिजली महंगी करना पूरी तरह से असंगत है. अपने कामकाज को चाक-चौबंद रखना, बिजली बिल बकाया के आंकड़े को एक सीमा से आगे नहीं बढ़ने देना, विद्युत हानि रोकना बिजली कंपनियों का ही दायित्व है और इसके लिए उन्हें ही उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए. 

पूरे देश में ‘एक देश, एक बिजली शुल्क’ होना चाहिए लागू- सीएम नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में कहा है कि सभी राज्यों को एक समान दर पर बिजली उपलब्ध कराई जानी चाहिए और केंद्र को ‘एक देश, एक बिजली शुल्क’ (वन नेशन, वन टैरिफ) की नीति बनानी चाहिए. हालांकि पारंपरिक तरीके से बिजली उत्पादन के अलावा अब अक्षय ऊर्जा को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना भी आज के समय की जरूरत है. 

घरों की छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. यद्यपि उम्मीद जताई जा रही है कि वर्ष 2040 तक देश में कुल बिजली उत्पादन का लगभग 49 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से उत्पादित किया जाने लगेगा, लेकिन इसके लिए अभी से सक्रियता बढ़ानी होगी. इससे जहां प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी, वहीं बिजली संकट से भी लोगों को राहत
मिल सकेगी.

Web Title: Electricity rates may increase again in Maharashtra why should public bear brunt power companies

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