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दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर कड़ी नजर रखनी चाहिए

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 01, 2023 9:33 AM

दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना लाइसेंस ऑनलाइन दवा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है।

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ठळक मुद्देदिल्ली हाईकोर्ट बिना लाइसेंस मनमाने तरीके से दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर हुई सख्त अदालत ने केंद्र से ऑनलाइन दवाओं की गैरकानूनी बिक्री पर छह हफ्ते में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा हैदरअसल ऑनलाइन दवा बेचने वाले लागू मापदंडों का सही तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं

दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना लाइसेंस ऑनलाइन दवा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है। अदालत ने केंद्र से ऑनलाइन दवाओं की गैरकानूनी बिक्री पर छह हफ्ते के भीतर अपना रुख भी स्पष्ट करने को कहा है। साथ ही बिना वैध लाइसेंस ऑनलाइन दवाएं बेच कर उसके 12 दिसंबर, 2018 के आदेश का उल्लंघन करने वालों पर दोनों सरकारों से अगली सुनवाई से पहले जरूरी कानूनी कार्रवाई करने के लिए भी कहा है।

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास समय ही नहीं है। बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो घर का जरूरी सामान, कपड़े और दवाइयां ऑनलाइन मंगवाते हैं। हालांकि अब उनके लिए ऑनलाइन दवाइयां मंगाना मुश्किल हो सकता है। दरअसल शिकायत की जा रही है कि ऑनलाइन दवा बेचने वाले दवा खरीदने के मापदंडों का सही तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते ऑनलाइन दवाइयां खरीदना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

दवाओं के एक जैसे नाम खरीदार को संशय में डाल सकते हैं और वह गलत दवा खरीद सकता है। इतना ही नहीं, डॉक्टरों की उचित सलाह न होने के बावजूद दवाओं की बिक्री कई तरह की समस्याएं बढ़ा सकती है। कुछ ई-फार्मेसी ने पूर्व में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट को जवाब दिया था कि उन्हें ऑनलाइन दवाएं बेचने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं है।

वे केवल खाने की डिलीवरी करने वाले एप्प की तरह दवाएं डिलीवर कर रही हैं। जिस तरह उन एप्प को रेस्तरां के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती, ई-फार्मेसी को भी दवाएं खरीदने वाले अपने ग्राहकों तक इन्हें पहुंचाने के लिए लाइसेंस नहीं चाहिए लेकिन जानकारों का कहना है कि बिना लाइसेंस ऑनलाइन दवाओं की अवैध बिक्री से नशीली दवाओं का दुरुपयोग और आदत बनाने वाली और लत लगाने वाली दवाओं का दुरुपयोग हो सकता है।

चूंकि ऑनलाइन दवाओं की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए कोई तंत्र नहीं है, यह लोगों के स्वास्थ्य और जीवन को उच्च जोखिम में डालता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सुरक्षित और स्वस्थ जीवन के उनके अधिकार को प्रभावित करता है। कई वेबसाइट लाखों रुपए की दवाइयां रोजाना बेच रही हैं।

इतना ही नहीं डॉक्टरों के बिना पर्चे के केवल दवाओं की तस्वीरों के आधार पर वेबसाइट दवाएं सप्लाई कर रही हैं। कई देशों में  ऑनलाइन फार्मेसी की निगरानी और नियमन के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। निश्चित ही हमारे यहां भी ऑनलाइन दवाओं की बिक्री को लेकर गाइडलाइंस होनी चाहिए, ताकि दवाओं की बिक्री पर नजर रखी जा सके।

टॅग्स :दिल्ली हाईकोर्टMedicines and HealthcareCentral GovernmentHealth and Family Welfare Department
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