International Cricket Council: क्रिकेट की भाषा में कहें तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के चेयरमैन जय शाह ने तालिबान के खिलाफ लाजवाब बाउंसर फेंका है. अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान ने महिलाओं का जीना हराम कर दिया है. खेलकूद की बात तो बहुत दूर है, उनके लिए स्कूल और कॉलेज के दरवाजे भी बंद हो चुके हैं. महिलाओं के प्रति ऐसी क्रूरता के लिए पूरी दुनिया एक स्वर में तालिबान की निंदा करती रही है, दबाव डालती रही है कि वह लड़कियों को स्कूल जाने और महिलाओं को काम करने की इजाजत दे लेकिन तालिबान इस मामले में बहरा बना हुआ है. इन परिस्थितियों में आईसीसी के चेयरमैन जय शाह ने अफगानिस्तान की महिला क्रिकेट खिलाड़ियों की सहायता के लिए एक समर्पित टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की तो हर क्रिकेट प्रेमी ने इस पहल का स्वागत किया. 2021 में जब अमेरिका अचानक अफगानिस्तान छोड़ गया और तालिबान ने सत्ता हथिया ली तो वहां की महिला क्रिकेटर्स के सामने भविष्य का सवाल था.
वे जानती थीं कि उन्हें अंधेरे बंद कमरे में कैद रहने को मजबूर कर दिया जाएगा इसलिए उन्होंने देश छोड़ देने का मन बनाया. बाद में यही हुआ भी. तालिबान ने महिला क्रिकेट टीम को भंग कर दिया लेकिन पुरुषों की टीम को बनाए रखा. महिला क्रिकेटर्स के लिए तालिबान से बचकर भाग निकलना मुश्किल काम था लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाई और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर मेल जोन्स ने इन महिला क्रिकेटर्स को तालिबान से भागने में मदद की. इस तरह पूरी टीम ऑस्ट्रेलिया पहुंचने में कामयाब हो गई. इनमें कुछ मेलबर्न तो कुछ कैनबरा में रह रही हैं.
इन्होंने अफगान महिला एलेवन नाम से क्रिकेट टीम बना रखी है लेकिन तीन साल तक वे कोई मैच नहीं खेल पाईं. इस साल जनवरी में मेलबर्न में क्रिकेट विदाउट बॉर्डर्स चैरिटी एलेवन के साथ अपना पहला मैच खेला. हालांकि वो मैच नहीं जीत पाईं लेकिन उनके जज्बे को पूरी दुनिया ने सलाम किया.
अफगानिस्तान की जानी-मानी क्रिकेटर फिरूजा अमीरी और नाहिदा सपन ने मैच के पहले कहा था कि सवाल जीत और हार का नहीं है. उनकी टीम उन करोड़ों अफगानी लड़कियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती है जिनके हकों का दमन किया जा रहा है. ऐसी हिम्मती अफगानी महिला टीम के लिए जय शाह का सामने आना अंधेरे बंद कमरे में उम्मीद की एक नई किरण की तरह है.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल की इस पहल में बीसीसीआई, इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया भागीदार है. यह टास्क फोर्स इस बात पर ध्यान देगा कि विस्थापित अफगान महिला क्रिकेटरों को कैसे भरपूर सहायता और सहयोग मिले ताकि क्रिकेट का भी विकास हो और उनका निजी जीवन भी बेहतर हो सके.
इसके लिए आईसीसी एक विशेष कोष स्थापित करेगा जिससे अफगान महिला क्रिकेटर्स को आर्थिक मदद मिलेगी ताकि वे क्रिकेट का सफर जारी रख सकें, जिस खेल से वे प्यार करती रही हैं. ये खिलाड़ी अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग कर सकें इसके लिए उन्हें कोचिंग सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.
उम्मीद की जानी चाहिए कि जय शाह की यह पहल अफगानी महिलाओं को संबल प्रदान करेगी कि दुनिया उन्हें भूली नहीं है. कुछ लोग हैं जो इन कठिन परिस्थितियों में उनके साथ खड़े हैं. उम्मीद करें कि तालिबान को भी यह सद्बुद्धि मिलेगी कि महिलाओं को भी सम्मान से जीने का हक है.