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Forest Fire News: क्यों बढ़ रही हैं जंगलों में आग की घटनाएं?, आखिर क्या है माजरा

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: March 28, 2024 10:32 AM

Forest Fire News: नीलगिरि की पहाड़ियों में इस प्रकार की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. जंगलों में आग लगने का सबसे आम कारण मानवीय लापरवाही है.

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ठळक मुद्देअवैध शिकार के लिए जानवरों को भगाने के लिए आग लगाना आदि कारण शामिल हैं.बिजली गिरना, ज्वालामुखी विस्फोट तथा सूखे के कारण पत्तियों और लकड़ी का सूख जाना आदि कारण हो सकते हैं.भारत में 36 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र वनाग्नि के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील है.

Forest Fire News: पिछले कई दिनों से तमिलनाडु के नीलगिरि में कुन्नूर वन क्षेत्र में जंगल की आग भड़क रही है. दरअसल वनाग्नि को फैलने के लिए अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है जैसे गर्म एवं शुष्क तापमान और उच्च वृक्ष घनत्व का होना. 1901 के बाद फरवरी 2024  दक्षिण भारत में सबसे गर्म महीनों में से एक रहा है. इसके अलावा पिछले दो महीनों में दक्षिण भारत के राज्यों में अधिकतम, न्यूनतम और औसत- तीनों ही तापमान सामान्य से ऊपर बने हुए हैं. इसी के परिणामस्वरूप सर्दियों के मौसम के दौरान भी इन वनों में शुष्क बायोमास की उपलब्धता बहुत ज्यादा है, जिससे आग तेजी से फैल रही है. यही वजह है कि हमें नीलगिरि की पहाड़ियों में इस प्रकार की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. जंगलों में आग लगने का सबसे आम कारण मानवीय लापरवाही है.

जिसके अंतर्गत जलती हुई माचिस या सिगरेट की तीली को फेंकना, जंगलों में खाना पकाना, शहद इकट्ठा करने के लिए आग लगाना तथा अवैध शिकार के लिए जानवरों को भगाने के लिए आग लगाना आदि कारण शामिल हैं. वनाग्नि के प्राकृतिक कारणों के अंतर्गत बिजली गिरना, ज्वालामुखी विस्फोट तथा सूखे के कारण पत्तियों और लकड़ी का सूख जाना आदि कारण हो सकते हैं.

तापमान में वृद्धि और वर्षा में कमी से जंगलों में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया, जो भारतीय फॉरेस्ट को सर्वे करने के लिए एक नोडल एजेंसी है, बताता है कि भारत में शुष्क पर्णपाती वनों में भीषण आग लगने की सबसे अधिक संभावना रहती है, जबकि सदाबहार, अर्द्ध-सदाबहार एवं पर्वतीय समशीतोष्ण वनों में तुलनात्मक रूप से कम जोखिम रहता है.

सरकारी डाटा के अनुसार, भारत में नवंबर 2020 से जून 2021 तक जंगलों में आग की 3 लाख 45 हजार 989 घटनाएं हुई हैं. यह पिछले 5 वर्षों में सबसे अधिक संख्या है. यह डाटा भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा जारी किया गया था. एफएसआई के अनुसार, 2021 में जंगलों में आग की घटनाओं में 2.7 गुना वृद्धि हुई थी.

नवंबर 2020 से जून 2021 तक हुई 345989 वनाग्नि की घटनाओं में कुछ घटनाएं बड़ी थीं, जबकि कुछ छोटी थीं. छोटी-बड़ी सभी घटनाओं को मिलाकर यह आंकड़ा सामने आया है. भारत राज्य वन रिपोर्ट (आईएसएफआर) के अनुसार, भारत में 36 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र वनाग्नि के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील है.

दरअसल भारत में 71.35 करोड़ हेक्टेयर वन क्षेत्र है, जिसमें 36 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र यानी 25.93 करोड़ हेक्टेयर वनाग्नि के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील है. विश्व स्तर पर कुल वन क्षेत्र का लगभग तीन फीसदी भारत का हिस्सा या लगभग 9.8 करोड़ हेक्टेयर वन क्षेत्र वर्ष 2015 में आग से प्रभावित हुआ था. ज्यादातर आग लगने की घटनाएं उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में देखने को मिलती हैं.

2021 में भारत के कई राज्यों में वनाग्नि की बहुत व्यापक स्तर पर घटनाएं देखने को मिली थीं. मार्च 2023 में गोवा में झाड़ियों में बड़ी आग की घटना देखने को मिली थी. साल 2024 में हाल में ही मिजोरम में 3738, मणिपुर में 1702, असम में 1652, मेघालय में 1252 और महाराष्ट्र में 1215 वनाग्नि की घटनाएं रिकॉर्ड की जा चुकी हैं.

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