मध्यप्रदेश के अलग-अलग शहरों में परवरिश। कॉलेज के ज़माने से रेडियो और संगीत का जो चस्का लगा—तो बस ये जीवनशैली में बन गये। विविध-भारती के लिए तमाम फिल्मी हस्तियों के साक्षात्कार। संगीत और सिनेमा की दुनिया में गहरी डुबकी लगाकर उन पर लिखने का गहन शौक़ रहा है। एक राष्ट्रीय दैनिक के लिए कॉलम ‘स्वर पंचमी’ लगातार दस बरस तक लोकप्रिय रहा। ब्लॉग भी लिखता हूं। स्टोरी टेलिंग और मंच संचालन भी।Read More
'साहिब बीवी और गुलाम' प्ले चल रहा था. 'भूतनाथ' का संवाद बोलते हुए मंच से देखा तो पहली पंक्ति में गुरु दत्त बैठे थे. प्ले पूरा हुआ. गुरु दत्त मिले और बोले, ''मैं इस नाटक पर फिल्म बनाना चाहता हूं. तुम्हें मुंबई आना होगा.'' स्क्रीन-टेस्ट हुआ. सामने पांच ...