मशहूर उर्दू शायर और लेखक नसीर तुराबी का 75 साल की उम्र में पाकिस्तान के कराची में रविवार (10 जनवरी) को निधन हो गया। तुराबी का परिवार भारत विभाजन के बाद हैदराबाद से कराची गया था।
तुराबी का जन्म 15 जून 1945 को भारत के हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता अल्लामा रशीद तुराबी प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान, कवि और लेखक थे। नसीर तुराबी की शिक्षा-दीक्षा कराची में हुई थी। उन्होंने कराची विश्वविद्यालय से मॉस कम्युनिकेशन में एमए की तालीम हासिल की थी।
कराची का पहला काव्य-संकलन 'अक्स-ए-फरियादी' साल 2000 में प्रकाशित हुआ था। भारत में नसीर तुराबी को ज्यादा लोकप्रियता तब मिली जब उनकी लिखी गजल 'वो हमसफर था मगर उससे हमनवाई न थी' को पाकिस्तानी टीवी सीरियल 'हमसफर' के टाइटल सॉन्ग के तौर पर प्रयोग किया गया। नसीर तुराबी ने 1971 पाकिस्तान विभाजन के बाद बांग्लादेश के निर्माण से गमजदा होकर यह गजल लिखी थी।
कुरुत-उल-एन बलोच की आवाज में यह गीत भारत और पाकिस्तान में जबरदस्त लोकप्रिय हुआ। इस गीत को मशहूर सूफी गायिका आबदा परवीन ने भी अपने अंदाज में आवाज दी।
नसीर तुराबी पाकिस्तानी रेडियो और टेलीविजन पर लगातार साहित्यिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे थे। उन्होंने मशहूर उर्दू शायर अहमद फराज की शायरी पर इंतखाब भी लिखा था।
तुराबी के निधन पर पाकिस्तान के जाने माने कलाकारों और लेखकों ने सोशलमीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
कुरुत-उल-एन बलोच की आवाज में नसीर तुराबी की मशहूर गजल आप नीचे दिये लिंक पर सुन सकते हैं-
लोकमत हिन्दी की तरफ से नसीर तुराबी को हार्दिक श्रद्धांजलि।