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कंगाली के कगार पर भारत का ये पड़ोसी देश, वेतन के लिए सड़क पर उतरे सरकारी कर्मचारी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 19, 2021 20:10 IST

तालिबान के द्वारा सत्ता हथियाने के बाद से इस देश की आर्थिक स्थिति और कमजोर होती जा रही है। तालिबान सरकार के पास अब अपने सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसा नहीं बचा है।

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ठळक मुद्देपिछले छह-सात माह से नहीं मिला है सरकारी कर्मचारिओं को वेतनतालिबानी शासन में हैरात शहर में बढ़ी गरीबी दर, लोग मांग रहे हैं मदद

पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन से स्थिति और भी खराब होती जा रही है। इस देश की अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर हो रही है। तालिबान के द्वारा सत्ता हथियाने के बाद से इस देश की आर्थिक स्थिति और कमजोर होती जा रही है। तालिबान सरकार के पास अब अपने सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसा नहीं बचा है। कर्मचारी अपने वेतन के भुगतान के लिए सड़कों पर प्रदर्शन करने मजबूर हो गए हैं। 

पिछले छह माह से नहीं मिला है वेतन

टोलो न्यूज के अनुसार, सरदार मुहम्मद दाऊद खान हॉस्पिटल और शहरी विकास एवं भूमि मंत्रालय के सैकड़ों कर्मचारियों ने वेतन के भुगतान के लिए देश की राजधानी काबुल में अलग-अलग प्रदर्शन किए। प्रदर्शन में शामिल डॉ. समीर अहमद ने कहा, 'पिछले छह महीनों से ज्यादा वक्त से वेतन नहीं मिला है। इनमें पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के कार्यकाल के डेढ़ महीने और तालिबान सरकार के पांच महीने शामिल हैं।' 

वहीं एक अन्य महिला डॉक्टर ने कहा, 'हमें अस्पताल आने-जाने के लिए वाहन किराया देना होता है। खाने-पीने की चीजों भी काफी महंगी हो गई हैं। हम वेतन मांगने के लिए मजबूर हैं।'

शहरी विकास मंत्रालय के कर्मचारिओं को नहीं मिला है सात माह से वेतन

वहीं शहरी विकास मंत्रालय के कर्मचारियों का सैलरी न मिलने पर गुस्सा इस कदर बढ़ा है कि उन्होंने कार्यवाहक मंत्री को बदलने की मांग की है। उन्हें सात महीनों से वेतन नहीं मिला है। खोशबाखतुल्ला अयूबी नाम के एक कर्मचारी ने कहा, 'राजधानी समेत पूरे देश में 10 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है।'  

उधर, अफगानी मीडिया के मुताबिक, तालिबान सरकार के वित्त मंत्रालय ने दावा किया है कि कर्मचारियों के बकाया वेतन के भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कुछ मंत्रालय के कर्मचारियों को भुगतान किया भी जा चुका है।

तालिबानी शासन में हैरात में बढ़ी गरीबी दर

वहीं महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी से जनता का बुरा हाल है। हैरात में तालिबान शासन के दौरान गरीबी दर बढ़ गई है। प्रांत के आपदा प्रबंधन प्राधिकार में रोजाना दर्जनों लोग मदद के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन विभाग के पास संसाधन सीमित हैं। ऐसे में सभी को मदद उपलब्ध नहीं हो पा रही है।

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